भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे ने 2024 से छात्रों की श्रेणी (कैटेगरी) संबंधी जानकारी एकत्र करना बंद कर दिया है। IIT कानपुर के पूर्व छात्र धीरज सिंह द्वारा भेदभाव के आरोपों के बाद यह निर्णय लिया गया।
धीरज सिंह ने नवंबर 2023 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि IIT बॉम्बे के प्लेसमेंट कार्यालय ने छात्रों से उनकी जाति और JEE कैटेगरी रैंक की जानकारी अनिवार्य रूप से मांगी, जिससे भेदभाव की संभावना बढ़ गई।
IIT बॉम्बे ने अपने जवाब में स्वीकार किया कि 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs) के लिए छात्रों की श्रेणी संबंधी जानकारी एकत्र की जाती थी, लेकिन 2024 से यह प्रथा समाप्त कर दी गई है।
हालांकि, निजी क्षेत्र के कुछ नियोक्ता अभी भी JEE कैटेगरी रैंक की जानकारी मांगते हैं, जिससे छात्रों में जाति-आधारित भेदभाव का डर बना रहता है। धीरज सिंह ने इस पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से आग्रह किया है कि IITs और निजी क्षेत्र के नियोक्ता इस तरह की भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करें।
यह कदम उच्च शिक्षा संस्थानों में समानता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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