क्रिकेट के मैदान पर खेल की भावना सर्वोपरि होती है, लेकिन जब कोई खिलाड़ी इस विश्वास को तोड़ता है, तो यह न केवल खेल, बल्कि उसके प्रशंसकों के लिए भी एक गहरा आघात होता है। बांग्लादेश की ऑफ स्पिनर शोहेली अख्तर के मामले ने मुझे व्यक्तिगत रूप से झकझोर दिया है, क्योंकि मैं हमेशा से महिला क्रिकेट के विकास और उसकी निष्पक्षता का समर्थक रहा हूं।
ICC की जांच के अनुसार, फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित महिला टी20 विश्व कप के दौरान, शोहेली ने अपनी साथी खिलाड़ी से संपर्क किया और उसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में ‘हिट विकेट’ होकर आउट होने के लिए 20 लाख बांग्लादेशी टका (लगभग $26,000) की पेशकश की। यह प्रस्ताव न केवल खेल की नैतिकता के खिलाफ था, बल्कि यह टीम के भीतर विश्वास के ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचा सकता था।
जब मैंने इस खबर के बारे में सुना, तो मुझे अपने कॉलेज के दिनों की याद आई, जब मैं भी क्रिकेट टीम का हिस्सा था। हमारे लिए टीम का सम्मान और खेल की निष्पक्षता सबसे महत्वपूर्ण थी। एक बार, हमारे एक साथी खिलाड़ी को बाहरी व्यक्ति ने मैच फिक्सिंग के लिए संपर्क किया था, लेकिन उसने तुरंत टीम मैनेजमेंट को इसकी सूचना दी, जिससे न केवल उस खिलाड़ी की प्रतिष्ठा बढ़ी, बल्कि टीम के भीतर विश्वास भी मजबूत हुआ।
शोहेली का यह कदम न केवल उनके करियर के लिए विनाशकारी साबित हुआ, बल्कि यह युवा खिलाड़ियों के लिए भी एक गलत उदाहरण प्रस्तुत करता है। ICC द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध के बाद, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इस घटना से सीखें और सुनिश्चित करें कि खेल की निष्पक्षता और ईमानदारी बनी रहे।
खेल में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाना आवश्यक है, लेकिन साथ ही हमें खिलाड़ियों को शिक्षित करने और उन्हें सही मार्गदर्शन देने की भी जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।