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कनाडाई सोमवार को वोट क्यों करते हैं? जानिए 10 बड़े कारण | अभी पढ़ें पूरी जानकारी

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मुख्य बिंदु (Key Highlights):

  • कनाडाई चुनाव पर डोनाल्ड ट्रंप के विवादित बयानों का प्रभाव।
  • सोमवार को मतदान करने के कानूनी, ऐतिहासिक और व्यावहारिक कारण।
  • चुनावी प्रक्रिया में बदलाव और स्थिरता बनाए रखने की कोशिशें।
  • चुनाव परिणाम और अमेरिकी हस्तक्षेप की आशंकाएं।
  • घरेलू मुद्दों पर जोर और मतदाताओं की चिंताएं।

कनाडा में सोमवार को वोटिंग क्यों होती है? 10 बड़े कारण जो हर नागरिक को जानने चाहिए

कनाडा में इस समय राजनीति गरमाई हुई है। एक ओर मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी है, तो दूसरी ओर पियरे पोएलिवर की कंजरवेटिव पार्टी। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित बयानों ने माहौल और तनावपूर्ण बना दिया है। ट्रंप ने दावा किया कि “कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बना देना चाहिए”, जिससे राष्ट्रीय अस्मिता और आर्थिक सुरक्षा पर बहस तेज हो गई है।

लेकिन amid इस राजनीतिक हलचल के, एक सवाल लोगों के बीच लगातार गूंज रहा है – आखिर कनाडा में सोमवार को ही वोटिंग क्यों होती है?

चलिए, इस प्रथा के पीछे के कानूनी, ऐतिहासिक और व्यावहारिक कारणों को गहराई से समझते हैं।

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1. यह कानून द्वारा अनिवार्य है

कनाडा में संघीय चुनाव कानून (Elections Canada) के तहत मतदान सोमवार को कराना अनिवार्य है। इसके अलावा, चुनावी अभियान की अवधि भी 37 से 51 दिनों के बीच निर्धारित की गई है।

2. सप्ताहांत की तैयारी का समय मिलता है

शनिवार और रविवार का समय मतदाताओं को अपने यात्रा कार्यक्रम बनाने, मतदान केंद्रों की जांच करने और अन्य जरूरी तैयारियां करने का अवसर देता है। इससे कार्यदिवसों के व्यस्त समय में हस्तक्षेप नहीं होता।

3. मतदान केंद्रों की सेटअप प्रक्रिया आसान होती है

चुनाव अधिकारियों और स्वयंसेवकों को शनिवार और रविवार का समय मतदान केंद्रों को व्यवस्थित करने के लिए मिलता है, ताकि सोमवार को सुचारू मतदान सुनिश्चित हो सके।

4. तय तारीख से राजनीतिक हस्तक्षेप को रोका गया

पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने ‘कनाडा चुनाव अधिनियम’ में सुधार कर हर चार साल में अक्टूबर के तीसरे सोमवार को चुनाव कराने का नियम बनाया। इसका मकसद सरकारों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए समय से पहले चुनाव बुलाने की प्रवृत्ति को रोकना था।

5. अगर सोमवार को सार्वजनिक अवकाश हो तो?

यदि निर्धारित सोमवार किसी राष्ट्रीय अवकाश (जैसे थैंक्सगिविंग) पर पड़ता है, तो चुनाव अगले दिन यानी मंगलवार को कराया जाता है। जैसे 2008 में हुआ था, जब मतदान 14 अक्टूबर मंगलवार को हुआ था।

6. एक दिन में कई दलों का भविष्य तय होता है

इस बार के चुनाव में लिबरल पार्टी, कंजरवेटिव पार्टी, न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP), ब्लॉक क्यूबेकुआ और ग्रीन पार्टी सहित कई प्रमुख पार्टियां मैदान में हैं।

7. शुरुआती नतीजे सोमवार रात को

मतदान समाप्त होने के बाद सोमवार रात को प्रारंभिक नतीजे आने लगते हैं। जबकि आधिकारिक तौर पर प्रमाणित नतीजे दो से तीन दिनों के भीतर जारी किए जाते हैं।

8. मार्क कार्नी को मामूली बढ़त

अंतिम सर्वेक्षणों में मार्क कार्नी को पियरे पोएलिवर पर मामूली बढ़त दिखाई गई है। अर्थव्यवस्था और अमेरिकी हस्तक्षेप के मुद्दे कार्नी के पक्ष में काम कर रहे हैं।

9. ट्रंप के बयानों का असर

चुनाव प्रचार के दौरान मार्क कार्नी ने बार-बार आगाह किया कि “ट्रंप की अमेरिका हमें तोड़कर, हम पर हावी होना चाहता है।” ट्रंप के हालिया बयानों ने इन चिंताओं को और प्रामाणिकता दी है।

10. घरेलू मुद्दों पर गहन फोकस

जहां कार्नी ने कनाडा की संप्रभुता की रक्षा पर जोर दिया, वहीं पोएलिवर ने महंगाई और जीवन-यापन की लागत जैसे घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। पिछले एक दशक में लिबरल पार्टी के समर्थन में गिरावट का एक बड़ा कारण यही रहा है।

सोमवार को मतदान कराने का निर्णय महज एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक सुव्यवस्थित, लोकतांत्रिक और व्यावहारिक सोच है। ट्रंप के बयानों से उठे सवालों और चुनावी टकराव के बीच भी, कनाडा ने अपने लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाए रखा है।

चुनावों का यह दौर न सिर्फ नेताओं की परीक्षा है, बल्कि कनाडाई जनता की जागरूकता और परिपक्वता का भी प्रतीक है।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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