---Advertisement---

भारत के सिंधु जल संधि निलंबन से क्यों कांप उठा पाकिस्तान? जानिए 2 छुपे कारण | खबर हरतरफ एक्सक्लूसिव विश्लेषण

By
Last updated:

Follow Us

Key Highlights:

  • भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सिंधु जल संधि को निलंबित किया।
  • पाकिस्तान ने दी परमाणु हमले तक की धमकी।
  • कृषि और ऊर्जा संकट से पाकिस्तान की स्थिति हो सकती है और भी बदतर।
  • भारत को सिंधु, चेनाब और झेलम नदियों पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
  • मनोवैज्ञानिक दबाव से पाकिस्तान पर गहरा असर पड़ने की संभावना।

2 छुपे कारण क्यों पाकिस्तान भारत की सिंधु जल संधि निलंबन पर उबल रहा है | खबर हरतरफ विश्लेषण

भारत के फैसले से पाकिस्तान क्यों घबराया हुआ है? जानिए इन दो गहरे कारणों को जो आम नजरों से छिपे हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) अब इतिहास के सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई, भारत ने इस संधि को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया है।

जलगत मंत्रालय के मंत्री सी.आर. पाटिल ने साफ कहा कि “अब पाकिस्तान को सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा।” वहीं दूसरी तरफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने चेतावनी दी कि “या तो पानी सिंध में बहेगा, या भारतीयों का खून।”

लेकिन पाकिस्तान का गुस्सा सिर्फ पानी के रुकने तक सीमित नहीं है। इसके पीछे दो गहरे, छुपे हुए कारण भी हैं, जिनका विश्लेषण बेहद जरूरी है।

पहला कारण: भारत को अब नहीं देनी होगी कोई सूचना

अब तक सिंधु, चेनाब और झेलम नदियों पर कोई भी निर्माण कार्य करने से पहले भारत को कम से कम छह महीने पहले पाकिस्तान को सूचित करना होता था। पाकिस्तान अक्सर छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स पर भी आपत्ति जताता था, जिससे भारत की परियोजनाएं बाधित होती थीं।

अब संधि के निलंबन के बाद, भारत को पाकिस्तान को कोई सूचना देने की जरूरत नहीं रहेगी। भारत बिना किसी अड़चन के आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर स्टोरेज और डैम निर्माण कर सकेगा। इसका लाभ यह होगा कि भारत अपनी जल-नीति को ज्यादा लचीले और रणनीतिक तरीके से लागू कर पाएगा।

दूसरा कारण: पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक दबाव

यह बदलाव सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी है। पाकिस्तान जानता है कि भारत अब पानी को छोड़ने या रोकने का निर्णय अपने हिसाब से ले सकता है।

जब पाकिस्तान में सूखा पड़ेगा या बाढ़ आएगी, तो वे भारत को सीधे तौर पर दोष नहीं दे पाएंगे, क्योंकि अब संधि की शर्तें लागू नहीं रहेंगी। ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने और आबादी के बढ़ने से पहले से ही पाकिस्तान में पानी की किल्लत है। अब भारत के पास अवसर है कि वह पानी के फ्लो को अपने रणनीतिक हितों के अनुसार नियंत्रित कर सके।

इसका असर फसल चक्र, खाद्य सुरक्षा, और आर्थिक स्थिरता पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। पाकिस्तान की 80% कृषि सिंधु नदी पर निर्भर है, और यदि पानी की आपूर्ति बाधित होती है तो इसका प्रभाव सीधा GDP, रोजगार, और आम जीवन पर पड़ेगा।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: उबलता गुस्सा और परमाणु धमकी

पाकिस्तान के मंत्री हनीफ अब्बासी ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि उनके 130 परमाणु हथियार भारत के खिलाफ स्टैंडबाय पर हैं। लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान के पास न तो आर्थिक स्थिरता है, न वैश्विक समर्थन, और न ही अब पानी के बहाव को नियंत्रित करने की शक्ति।

सिंधु जल संधि का निलंबन एक ऐतिहासिक मोड़ है। भारत ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब आतंकवाद और द्विपक्षीय संधियां साथ-साथ नहीं चल सकतीं।

पाकिस्तान का भय केवल पानी रुकने का नहीं है, बल्कि उस नियंत्रण के खो जाने का है जो अब तक उसे भारत पर दबाव बनाने में मदद करता था। भारत को अब संयम से, लेकिन रणनीतिक तौर पर अपने हितों को आगे बढ़ाना होगा।

यह भी पढ़े: NIA ने संभाला पहलगाम आतंकी हमले की जांच का जिम्मा: जानिए अब तक की बड़ी अपडेट्स

Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

For Feedback - [email protected]

Join WhatsApp

Join Now