संपुर्ण हनुमान साठिका का पाठ: जानिए इसके अद्भुत लाभ और महत्व

Hanuman Sathika recitation: Know its amazing benefits and importance
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हनुमान जी हिन्दू धर्म में भगवान शिव के रूद्र अवतार माने जाते हैं। हनुमान जी की भक्ति और पूजा में कई ग्रंथों और मंत्रों का विशेष महत्व है। इनमें से एक प्रमुख ग्रंथ है “हनुमान साठिका”। इस लेख में हम हनुमान साठिका के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

हनुमान साठिका क्या है?

हनुमान साठिका एक धार्मिक ग्रंथ है जिसमें हनुमान जी की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन है। यह ग्रंथ विशेष रूप से हनुमान जी की आराधना और पूजा के लिए रचा गया है। साठिका का अर्थ होता है “साठ पद्य” और इस ग्रंथ में हनुमान जी के 60 विभिन्न नामों और उनकी महिमा का वर्णन है।

हनुमान साठिका का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इसे पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति मिलती है। हनुमान साठिका के पाठ से मनुष्य की आंतरिक और बाह्य शक्तियों का विकास होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

हनुमान साठिका का पाठ कैसे करें?

हनुमान साठिका का पाठ बहुत ही सरल है और इसे कोई भी व्यक्ति कर सकता है। पाठ के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. स्नान और ध्यान: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद हनुमान जी का ध्यान करें।
  2. आसन: एक स्वच्छ और शांति स्थान पर बैठें। आप लाल आसन का प्रयोग कर सकते हैं।
  3. धूप और दीप: हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने धूप और दीप जलाएं।
  4. पाठ: हनुमान साठिका का पाठ करें। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें।

हनुमान साठिका के लाभ

हनुमान साठिका का पाठ करने से कई लाभ होते हैं:

  1. संकटों से मुक्ति: हनुमान साठिका का नियमित पाठ जीवन के संकटों से मुक्ति दिलाता है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: इसे पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: हनुमान साठिका का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

संपूर्ण हनुमान साठिका का पाठ | Hanuman Sathika in Hindi

श्री हनुमान साठिका

॥दोहा॥
बीर बखानौं पवनसुत,जनत सकल जहान ।
धन्य-धन्य अंजनि-तनय , संकर, हर, हनुमान्॥
।।चौपाइयां।।
जय-जय-जय हनुमान अडंगी | महावीर विक्रम बजरंगी ||
जय कपिश जय पवन कुमारा | जय जग बंदन सील अगारा ||
जय आदित्य अमर अबिकारी | अरि मरदन जय-जय गिरिधारी ||
अंजनी उदर जन्म तुम लीन्हा | जय जयकार देवतन कीन्हा ||
बाजे दुन्दुभि गगन गंभीरा | सुर मन हर्ष असुर मं पीरा ||
कपि के डर गढ़ लंक सकानी | छूटे बंध देवतन जानी ||
ऋषि समूह निकट चलि आये | पवन-तनय के पद सिर नाये ||
बार-बार स्तुति करी नाना | निर्मल नाम धरा हनुमाना ||
सकल ऋषिन मिली अस मत ठाना | दीन्ह बताय लाल फल खाना ||
सुनत वचन कपि मन हर्षाना | रवि रथ उदय लाल फल जाना ||
रथ समेत कपि कीन्ह आहारा | सूर्य बिना भये अति अंधियारा ||
विनय तुम्हार करै अकुलाना | तब कपिस की अस्तुति ठाना ||
सकल लोक वृतांत सुनावा | चतुरानन तब रवि उगिलावा ||
कहा बहोरी सुनहु बलसीला | रामचंद्र करिहैं बहु लीला ||
तब तुम उनकर करेहू सहाई | अबहीं बसहु कानन में जाई ||
अस कही विधि निज लोक सिधारा | मिले सखा संग पवन कुमारा ||
खेलै खेल महा तरु तोरें | ढेर करें बहु पर्वत फोरें ||
जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई | गिरि समेत पातालहि जाई ||
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा | निरखति रहे राम मागु आसा ||
मिले राम तहं पवन कुमारा | अति आनंद सप्रेम दुलारा ||
मनि मुंदरी रघुपति सों पाई | सीता खोज चले सिरु नाई ||
सतयोजन जलनिधि विस्तारा | अगम-अपार देवतन हारा ||
जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा | लांघि गये कपि कही जगदीशा ||
सीता-चरण सीस तिन्ह नाये | अजर-अमर के आसिस पाये ||
रहे दनुज उपवन रखवारी | एक से एक महाभट भारी ||
तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा | दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा ||
सिया बोध दै पुनि फिर आये | रामचंद्र के पद सिर नाये ||
मेरु उपारि आप छीन माहीं | बाँधे सेतु निमिष इक मांहीं ||
लक्ष्मण-शक्ति लागी उर जबहीं | राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ||
भवन समेत सुषेन लै आये | तुरत सजीवन को पुनि धाय ||
मग महं कालनेमि कहं मारा | अमित सुभट निसि-चर संहारा ||
आनि संजीवन गिरि समेता | धरि दिन्हौ जहं कृपा निकेता ||
फन पति केर सोक हरि लीन्हा | वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा ||
अहिरावन हरि अनुज समेता | लै गयो तहां पाताल निकेता ||
जहाँ रहे देवि अस्थाना | दीन चहै बलि कढी कृपाना ||
पवन तनय प्रभु किन गुहारी | कटक समेत निसाचर मारी ||
रीछ किसपति सबै बहोरी | राम-लखन किने यक ठोरी ||
सब देवतन की बन्दी छुडाये | सो किरति मुनि नारद गाये ||
अछय कुमार दनुज बलवाना | काल केतु कहं सब जग जाना ||
कुम्भकरण रावण का भाई | ताहि निपात कीन्ह कपिराई ||
मेघनाद पर शक्ति मारा | पवन तनय तब सो बरियारा ||
रहा तनय नारान्तक जाना | पल में हते ताहि हनुमाना ||
जहं लगि भान दनुज कर पावा | पवन-तनय सब मारि नसावा ||
जय मारुतसुत जय अनुकूला | नाम कृसानु सोक तुला ||
जहं जीवन के संकट होई | रवि तम सम सो संकट खोई ||
बंदी परै सुमिरै हनुमाना | संकट कटे घरै जो ध्याना ||
जाको बंध बामपद दीन्हा | मारुतसुत व्याकुल बहु कीन्हा ||
सो भुजबल का कीन कृपाला | अच्छत तुम्हे मोर यह हाला ||
आरत हरन नाम हनुमाना | सादर सुरपति कीन बखाना ||
संकट रहै न एक रति को | ध्यान धरै हनुमान जती को ||
धावहु देखि दीनता मोरी | कहौं पवनसुत जगकर जोरी ||
कपिपति बेगि अनुग्रह करहु | आतुर आई दुसै दुःख हरहु ||
राम सपथ मै तुमहि सुनाया | जवन गुहार लाग सिय जाया ||
यश तुम्हार सकल जग जाना | भव बंधन भंजन हनुमाना ||
यह बंधन कर केतिक वाता || नाम तुम्हार जगत सुखदाता ||
करौ कृपा जय-जय जग स्वामी | बार अनेक नमामि-नमामी ||
भौमवार कर होम विधना | धुप दीप नैवेद्द सूजाना ||
मंगल दायक को लौ लावे | सुन नर मुनि वांछित फल पावें ||
जयति-2 जय-जय जग स्वामी | समरथ पुरुष सुअंतरआमी ||
अंजनि तनय नाम हनुमाना | सो तुलसी के प्राण समाना ||
।।दोहा।।
जय कपीस सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान।।
राम लषन सीता सहित, सदा करो कल्याण।
।बन्दौं हनुमत नाम यह, भौमवार परमान।।
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण।।
जो नित पढ़ै यह साठिका, तुलसी कहैं बिचारि।
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि।।
।।सवैया।।
आरत बन पुकारत हौं कपिनाथ सुनो विनती मम भारी।अंगद औ नल-नील महाबलि देव सदा बल की बलिहारी ।।
जाम्बवन्त् सुग्रीव पवन-सुत दिबिद मयंद महा भटभारी । दुःख दोष हरो तुलसी जन-को श्री द्वादश बीरन की बलिहारी ।।
हनुमान साठिका के कुछ प्रमुख श्लोक

हनुमान साठिका के श्लोक बहुत ही प्रभावी और शक्ति-प्रदान करने वाले होते हैं। यहां हम कुछ प्रमुख श्लोकों का उल्लेख कर रहे हैं:

प्रथम श्लोक:

हनुमान जी की जय बोलो, संकट मोचन नाम तिहारा।
संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीर।।

द्वितीय श्लोक:

बजरंग बली नाम तुम्हारा, सब कष्ट मिटे सदा सहाय।
जो कोई ध्याये तुम्हें सदा, उसे कभी ना होवे कष्ट भारी।

हनुमान साठिका के संदर्भ में विस्तृत जानकारी

प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख: हनुमान साठिका का उल्लेख कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है। इसके पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्ति मिलती है। विभिन्न पुराणों में हनुमान जी के चरित्र और उनके कृत्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

तुलसीदास और रामचरितमानस: गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में हनुमान जी का विस्तृत वर्णन है। तुलसीदास ने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड जैसे ग्रंथों के माध्यम से हनुमान जी की महिमा का गुणगान किया है। हनुमान साठिका भी तुलसीदास के द्वारा ही रचित मानी जाती है, हालांकि इसके ऐतिहासिक साक्ष्य कम उपलब्ध हैं।

हनुमान साठिका के श्लोकों का महत्व: हनुमान साठिका के प्रत्येक श्लोक में हनुमान जी की महिमा और उनके कार्यों का वर्णन है। ये श्लोक न केवल भक्ति भाव से ओतप्रोत होते हैं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में प्रेरणा देने वाले भी होते हैं। हनुमान जी की शक्ति, बुद्धि, और भक्ति को इन श्लोकों में विस्तार से बताया गया है।

विभिन्न संप्रदायों में महत्व: हनुमान साठिका का पाठ विभिन्न संप्रदायों में किया जाता है। विशेषकर वैष्णव संप्रदाय में हनुमान जी को भगवान राम के अनन्य भक्त के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा, शैव और शक्ति संप्रदाय में भी हनुमान जी का विशेष स्थान है। हनुमान साठिका के श्लोक सभी संप्रदायों में समान रूप से पूजनीय हैं।

आधुनिक युग में हनुमान साठिका: आधुनिक युग में भी हनुमान साठिका का महत्व कम नहीं हुआ है। कई भक्तजन हनुमान साठिका का नियमित पाठ करते हैं और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाते हैं। विभिन्न धार्मिक आयोजनों, हनुमान जयंती और अन्य पर्वों पर हनुमान साठिका का सामूहिक पाठ किया जाता है।

आज के तनावपूर्ण जीवन में हनुमान साठिका का पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। इसे पढ़ने से व्यक्ति की आंतरिक शक्तियों का विकास होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

निष्कर्ष

हनुमान साठिका न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता है। इसके श्लोकों में छिपा हनुमान जी का संदेश हमें धैर्य, साहस और निष्ठा के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है। हनुमान साठिका का नियमित पाठ करके हनुमान जी की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल और समृद्ध बनाएं।

हनुमान साठिका हनुमान जी की आराधना का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसका पाठ करने से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। हनुमान साठिका का नियमित पाठ करके हनुमान जी की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।

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