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Devshayani Ekadashi : 6 जुलाई को मनाई जाएगी देव शयनी एकादशी, जानें क्या है व्रत का महत्व और कैसे मिलेगी श्री हरी की कृपा

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Devshayani Ekadashi : हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बड़ा महत्व है। एकादशी तिथि को श्री हरि विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा पाठ और भगवान के चिंतन से समस्त कष्टों और कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। बता दें कि हर महीने एकादशी की दो तिथि पड़ती है। एक शुल्क पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की। पूर्णिमा (Full Moon) से अमावस्या (New Moon) की तरफ बढ़ने वाली तिथियां कृष्णपक्ष कहलाती हैं और अमावस्या (New Moon) से पूर्णिमा (Full Moon) की तरफ बढ़ने वाली तिथियां शुक्लपक्ष कहलाती हैं ।

6 जुलाई को मनाई जाएगी Devshayani Ekadashi

Devshayani Ekadashi जुलाई यानी कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इस बार यह एकादशी तिथि 06 जुलाई, रविवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे कि शादी विवाह आदि का आयोजन नहीं किया जाता है। इन सभी आयोजनों की मनाही होती है।

देवशयनी एकादशी तिथि 05 जुलाई 2025, शनिवार, शाम 06:58 बजे से शुरू होकर 06 जुलाई 2025, रविवार, रात्रि 09:14 बजे तक रहने वाली है। उदया तिथि में यह व्रत 6 जुलाई को किया जाएगा। इस बात का ध्यान रखें की एकादशी व्रत में पारण का बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि समय अनुसार पारण करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवशयनी एकादशी तिथि की पारण 07 जुलाई, प्रातः 5:29 से प्रातः 08:16 तक है।

देवशयनी एकादशी का क्या महत्व है और इस दिन क्या विशेष करना चाहिए?

दरअसल देवशयनी एकादशी के दिन की तिथि से श्री विष्णु जी चार महीने की निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड के पालन का सारा उत्तरदायित्व भगवान शिव को मिल जाता है और वहीं हमारी देखभाल करते हैं। अगर आप श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो यह व्रत जरूर करना चाहिए।

इस व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से ही हो जाती है। दशमी को स्नान आदि करके श्री हरि का पूजन और ध्यान करना चाहिए। भगवान का नाम लेना चाहिए। सादा भोजन करना चाहिए। इस दिन प्याज लहसुन आदि नहीं खाना चाहिए। इस बात का विशेष ख्याल रखें कि एकादशी में चावल खाने की सख्त मनाही है। इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए। अगले दिन एकादशी की तिथि पर कलश की स्थापना कर श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए और उनका प्रिय भोग लगाना चाहिए जिसमें तुलसी अवश्य होनी चाहिए।

इस दिन यह संकल्प करना चाहिए कि मैं पवित्र मन से भगवान का ध्यान करूंगा और उनका नाम जपूंगा। चाहे तो निराहार या फलाहार भी रह सकते हैं। फिर द्वादशी के दिन सुबह में टाइमिंग के हिसाब से पूजा पाठ करके सादा भोजन या फल से ही पारण करना चाहिए। इसके बाद इस दिन भी बिना प्याज और लहसुन वाला सादा भोजन करना चाहिए। ध्यान रहे कि इन तीनों दिन आपको सूर्यास्त के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना है। सच्चे दिल से की गई प्रार्थना और प्रेम से ईश्वर आपको सदैव अपनी नजरों में रखते हैं।

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