Shani sadhe sati remedies : ज्योतिष विद्या में रुचि रखने वाले लोग शनि की ढैया और साढ़े साती संबंधित विषय में जानने के सदैव इच्छुक रहते हैं। दरअसल शनि ग्रह को कर्मों का देवता माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि शनि अपनी दशा, अंतर्दशा से लेकर ढैया और साढ़े साती में जातकों को काफी कष्ट देते हैं। लोगों में इससे संबंधित काफी उत्सुकता देखने को मिलती है, खासकर उन जातकों में जो अभी इस अवस्था यानी कि शनि की ढैया और साढ़े साती से गुजर रहे हैं।
क्या होती है साढ़े साती और अभी फिलहाल किन राशियों पर चल रही है शनि की साढ़े साती?
साढ़े साती की अवधि साढ़े सात साल तक की होती है। यह अवधि तब शुरू होती है जब शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 12वें, पहले, या दूसरे भाव में गोचर करते हैं। अभी फिलहाल तीन राशियों की साढ़े साती चल रही है जिसमें Aquarius यानी कि कुंभ तीसरे यानी कि फाइनल चरण में है। Pisces यानी कि मीन राशि अपने दूसरे चरण में हैं और Aries यानी कि मेष राशि के जातक अपने पहले चरण में प्रवेश कर चुके हैं।
साढ़े साती की अवधि को तीन चरणों में बांटा गया है। जब शनि ग्रह व्यक्ति की जन्म राशि से 12वें पहले, या दूसरे भाव में गोचर करते हैं तो उसे ढाई ढाई वर्ष के तीन अंतराल पर बांटा गया है।
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शनि की ढैया कब होती है?
जब शनि ग्रह कई व्यक्ति के जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में गोचर करते हैं तो उस अवस्था को शनि की ढैया कहा जाता है और यह ढाई वर्षों तक चलता है। अभी फिलहाल वर्ष 2025 में सिंह राशि यानि कि Leo और धनु राशि यानि कि Sagittarius पर शनि की ढैया चल रही है।
शनि की साढ़े साती और ढैया से क्यों डरते हैं जातक?
मनुष्य की नियति यही है कि वह अपने कर्मों से पीछा नहीं छुड़ा सकता। यह संभव भी नहीं कि अगर कोई कांटा दूसरों को दे तो उसे फूल ही फूल मिलें। हालांकि इन वक्त में जातकों को काफी मुश्किलों और कष्ट का सामना करना पड़ता है लेकिन इनसे सबक लेकर मुश्किल कम की जा सकती है। इस दौरान मिलने वाले कष्टों को अपने खुद को बेहतर बनाने का मौका समझकर स्वीकार करें।
पूजापाठ से लेकर दान और जरूरतमंदों की सहायता भी लाभकारी साबित होती है। जिस व्यक्ति से कष्ट मिलता हो उसे माफ करें और बदले की भावना न रखें। खुद को ईश्वर को सौंप दें और मन में अगर कोई खराब भावना आती भी है तो उसे निकाल दें। ईश्वर से अपना मन साफ रखने की प्रार्थना करें।
Shani Sadhe Sati Remedies क्या हो सकती है?
इस दौरान अपने इष्ट देव की पूजा आराधना और उनसे सहायता मांगने से विशेष लाभ होता है। अगर आप नहीं जानते हैं कि आपके इष्ट देव कौन हैं तो आप भोलेनाथ या हनुमान जी की आराधना कर सकते हैं। बार बार अपने कष्टों के बारे में विचार करने के बजाय ईश्वर का चिंतन करें।