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Jayadeva Goswami Biography: श्री गीत-गोविंद के रचयिता

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भारतीय भक्ति साहित्य के इतिहास में एक ऐसा नाम है जिसे जानकर हर भक्त का हृदय आनंद से भर उठता है, श्री जयदेव गोस्वामी। वे केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक दिव्य भक्त थे जिनकी लेखनी से भगवान श्रीकृष्ण की रसमयी लीलाओं का अद्भुत चित्रण हुआ। इस लेख में हम उनके जीवन, रचनाओं और चमत्कारिक घटनाओं की आध्यात्मिक यात्रा पर प्रकाश डालेंगे।

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि,

श्री जयदेव गोस्वामी का जन्म 12वीं शताब्दी के आरंभ में वर्तमान पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के केनुबिल्व ग्राम (Kendubiva Gram) में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री भोजदेव और माता का नाम श्रीमती बामादेवी था।

राजदरबार के पंडित: जयदेव गोस्वामी बंगाल के राजा श्री लक्ष्मण सेना के राजदरबार में पंडित थे। वे विद्वानों में श्रेष्ठ माने जाते थे और धार्मिक विषयों में गहन ज्ञान रखते थे। इस काल में वे गंगा नदी के तट पर रहते थे और वहीं उन्होंने अनेक रचनाएं कीं।

विवाह और गृहस्थ जीवन: जयदेव गोस्वामी की पत्नी का नाम श्री पद्मावती था, जो एक अत्यंत धर्मनिष्ठ और भक्तिपरायण स्त्री थीं। उनके जीवन में भक्ति, प्रेम और तपस्या का अद्भुत संतुलन था।

Jayadeva Goswami

गीत-गोविंद की रचना:

जयदेव गोस्वामी की सबसे प्रसिद्ध रचना है – श्री गीत गोविंद। यह एक भक्तिपूर्ण काव्य रचना है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और श्री राधा के मधुर मिलन और प्रेम की रसमयी लीलाओं का गान है।

श्री चैतन्य महाप्रभु भी इस ग्रंथ को अत्यंत श्रद्धा से सुनते थे। चैतन्य चरितामृत (मध्यलीला 2/11) में कृष्णदास कविराज गोस्वामी लिखते हैं:

“दिन-रात, स्वरूप दामोदर और रमनंद राय के साथ, श्री चैतन्य महाप्रभु विद्याापति, चंडीदास के गीतों के साथ-साथ गीता-गोविंद को भी अत्यंत भाव से सुनते थे।”

एक चमत्कारी घटना: गीता-गोविंद के एक अंश को लिखते समय जयदेव गोस्वामी एक विशेष श्लोक पर रुक गए। वह श्लोक था: “dehi padapallavam-udaram” जिसका अर्थ है “कृष्ण, श्री राधा के चरण कमलों को स्पर्श करने के लिए अपना मस्तक झुकाते हैं।”

जयदेव सोच में पड़ गए कि क्या यह उचित होगा कि भगवान स्वयं को श्री राधा के अधीन बताएँ? वह उस श्लोक को लिख नहीं पाए और गंगा स्नान के लिए चले गए।

श्रीकृष्ण की लीलामयी उपस्थिति:

जब वे स्नान के लिए बाहर गए, तभी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण, जयदेव का रूप धारण करके उनके घर आए, उन्होंने उसी ताड़पत्र पर वह श्लोक लिख दिया:

“dehi padapallavam-udaram”

फिर भगवान ने श्री पद्मावती द्वारा तैयार किया गया भोग भी स्वीकार किया और अंतर्ध्यान हो गए। जब जयदेव लौटे, और उन्होंने वह श्लोक देखा, तो वे भावविभोर हो गए।

उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा, और जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि प्रभु स्वयं उनके घर पधारे थे, तो उनकी आंखों से आनंदाश्रु बहने लगे। उन्होंने कहा:

“पद्मावती! तुम धन्य हो। स्वयं श्रीकृष्ण ने यह श्लोक लिखा है और तुम्हारे हाथ से भोग स्वीकार किया है।”

भक्ति भाव की पराकाष्ठा: जयदेव गोस्वामी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब भक्ति निष्कलंक होती है, तो स्वयं भगवान भक्त के माध्यम से कार्य करते हैं। उनके गीता-गोविंद में वर्णित राधा-कृष्ण की लीलाएँ आज भी भक्ति मार्ग के पथिकों को रसमय आनंद देती हैं।

चैतन्य महाप्रभु से संबंध:

हालाँकि जयदेव गोस्वामी, श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रकट होने से लगभग 300 वर्ष पहले हुए थे, फिर भी उनकी रचनाओं में चैतन्य महाप्रभु की भक्ति भावना परिलक्षित होती है। भक्तिविनोद ठाकुर लिखते हैं कि चंडीदास, विद्यापति, बिल्वमंगल और जयदेव की रचनाओं में चैतन्य भावनाओं की झलक पहले ही दिखाई देती थी।

अन्य रचनाएं: गीता-गोविंद के अतिरिक्त जयदेव गोस्वामी ने “चंद्रलोक” नामक ग्रंथ की भी रचना की थी।

👉 दसा-अवतार गीत:
जयदेव की गीता-गोविंद में “दशावतार स्तोत्र” भी शामिल है, जिसमें भगवान विष्णु के दस अवतारों का सुंदर वर्णन है:

  1. मत्स्य
  2. कूर्म
  3. वराह
  4. नृसिंह
  5. वामन
  6. परशुराम
  7. श्रीराम
  8. बलराम
  9. बुद्ध
  10. कल्कि

जयदेव मेला: श्री जयदेव गोस्वामी की पुण्य तिथि पौष संक्रांति को मनाई जाती है। उनके जन्मस्थान केनुबिल्व ग्राम में प्रतिवर्ष भव्य “जयदेव मेला” आयोजित होता है, जिसमें देशभर से भक्तजन सम्मिलित होते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) – श्री जयदेव गोस्वामी की जीवनी

1. श्री जयदेव गोस्वामी कौन थे?

🔸 उत्तर: श्री जयदेव गोस्वामी 12वीं शताब्दी के एक महान भक्ति कवि और संत थे, जो बंगाल के राजा लक्ष्मण सेना के राजपंडित थे। वे गीता-गोविंद नामक अमर काव्य के रचयिता थे, जिसमें श्री राधा-कृष्ण की प्रेम-लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन है।

2. जयदेव गोस्वामी की सबसे प्रसिद्ध रचना कौन-सी है?

🔸 उत्तर: उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “श्री गीता-गोविंद” है, जो श्री राधा और श्रीकृष्ण की अंतरंग लीलाओं को रसपूर्ण शैली में प्रस्तुत करती है। यह ग्रंथ श्री चैतन्य महाप्रभु को भी अत्यंत प्रिय था।

3. क्या श्रीकृष्ण ने स्वयं जयदेव गोस्वामी के लिए कुछ लिखा था?

🔸 उत्तर: हाँ, एक प्रसंग के अनुसार, श्रीकृष्ण स्वयं जयदेव गोस्वामी के रूप में आए और “dehi padapallavam-udaram” श्लोक को उनके ग्रंथ में लिखकर लीलामय चमत्कार प्रकट किया। यह उनके जीवन की सबसे अद्भुत घटनाओं में से एक मानी जाती है।

4. श्री जयदेव गोस्वामी की पत्नी कौन थीं?

🔸 उत्तर: उनकी पत्नी का नाम श्री पद्मावती था, जो अत्यंत धर्मपरायण और भक्ति-भाव से ओतप्रोत थीं। उन्हीं के हाथ से श्रीकृष्ण ने प्रसाद भी स्वीकार किया था।

5. श्री जयदेव गोस्वामी की अन्य रचनाएं कौन-सी हैं?

🔸 उत्तर: गीता-गोविंद के अलावा उन्होंने “चंद्रलोक” नामक काव्य ग्रंथ की भी रचना की थी। साथ ही, गीता-गोविंद में सम्मिलित “दशावतार स्तोत्र” भी अत्यंत प्रसिद्ध है।

6. जयदेव गोस्वामी की पुण्य तिथि कब मनाई जाती है?

🔸 उत्तर: उनकी पुण्य तिथि पौष संक्रांति को मनाई जाती है। उनके जन्मस्थान, केनुबिल्व ग्राम (Kendubiva Gram), पश्चिम बंगाल में हर वर्ष “जयदेव मेला” आयोजित होता है।

7. गीता गोविंद क्यों इतना प्रसिद्ध है?

🔸 उत्तर: गीता गोविंद को इसलिए प्रसिद्धि प्राप्त है क्योंकि इसमें राधा-कृष्ण के प्रेम की रसमयी, आध्यात्मिक और भावनात्मक अभिव्यक्ति है। यह भक्ति रस के सबसे सुंदर ग्रंथों में से एक माना जाता है।

8. क्या गीता गोविंद का उल्लेख चैतन्य चरितामृत में भी है?

🔸 उत्तर: जी हाँ, चैतन्य चरितामृत (मध्यलीला 2/11) में वर्णित है कि श्री चैतन्य महाप्रभु गीता गोविंद को अत्यंत भाव-विभोर होकर सुनते थे। यह उनके प्रिय ग्रंथों में से एक था।

9. जयदेव गोस्वामी के साहित्य में कौन-सी भक्ति परंपरा झलकती है?

🔸 उत्तर: उनके साहित्य में माधुर्य-भाव, राधा-कृष्ण की रसिक लीलाएँ और गोपियों की कृष्ण-भक्ति की प्रमुख झलक मिलती है। ये रचनाएँ गौड़ीय वैष्णव परंपरा से गहरे रूप से जुड़ी हुई हैं।

10. Jayadeva Goswami – Biography किसके लिए पढ़ना उपयोगी है?

🔸 उत्तर: यह जीवनी उन सभी भक्तों, शोधकर्ताओं और साहित्य प्रेमियों के लिए उपयोगी है जो श्रीकृष्ण की लीलाओं, भक्ति काव्य और भारतीय आध्यात्मिक धरोहर में रुचि रखते हैं।

जयदेव गोस्वामी का जीवन, उनके शुद्ध भक्ति के भाव और उनकी रचनाएं हम सबके लिए एक आध्यात्मिक धरोहर हैं। उनके जीवन से यह स्पष्ट होता है कि ईश्वर अपने परम भक्तों की प्रत्येक भावना का आदर करते हैं और कभी-कभी उनके माध्यम से ही अपनी लीलाओं का विस्तार करते हैं।

जय श्री राधे! जय श्रीकृष्ण! 🙏

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Laxman Mishra

पंडित लक्ष्मण मिश्रा एक अनुभवी ज्योतिषाचार्य हैं, जो वैदिक ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण, विवाह योग, धन योग और वास्तु शास्त्र में विशेषज्ञता रखते हैं। उनकी सटीक भविष्यवाणियाँ और उपाय अनगिनत लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला चुके हैं। वे ज्योतिष को तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर, लोगों को सही मार्गदर्शन प्रदान करने में विश्वास रखते हैं। अगर आप अपने जीवन से जुड़ी किसी समस्या का समाधान चाहते हैं, तो पंडित लक्ष्मण मिश्रा से परामर्श अवश्य लें।

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