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आतंकियों की गोली से पर्यटकों को बचाते-बचाते ‘सैयद आदिल हुसैन शाह’ ख़ुद शहीद हो गया !

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Key Highlights:

  • पहलगाम में आतंकी हमले के दौरान आदिल ने दिखाई अद्भुत वीरता
  • आतंकियों से भिड़ते हुए जान गँवा दी, लेकिन पर्यटकों को बचाया
  • परिवार का इकलौता सहारा थे आदिल, पीछे छोड़ गए माता-पिता, पत्नी और बच्चे
  • स्थानीय प्रशासन ने दी श्रद्धांजलि और परिवार को दिया मदद का भरोसा

सय्यद आदिल हुसैन शाह: एक ऐसा घुड़सवार, जिसने अपनी जान देकर बचाई कई जिंदगियाँ

पहलगाम, जम्मू-कश्मीर: कई बार असली हीरो वो होते हैं, जो किसी फिल्म के पोस्टर पर नहीं बल्कि ज़मीन पर बहादुरी दिखाते हैं। सय्यद आदिल हुसैन शाह ऐसा ही एक नाम है, जो अब कश्मीर की वादियों में वीरता की मिसाल बन गया है।

पेशे से घुड़सवार, आदिल शाह पर्यटकों को पहलगाम के पार्किंग क्षेत्र से बायसारन मीडोज़ तक घोड़े पर घुमाने का काम करते थे। लेकिन 23 अप्रैल को जब पहलगाम की शांत वादियों में आतंकियों की गोलियों की आवाज़ गूंजी, तो आदिल ने डरकर भागने की बजाय बहादुरी से सामना किया।

आतंकियों से भिड़े, जान देकर बचाई ज़िंदगियाँ

स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। उस समय आदिल पर्यटकों को ले जा रहे थे। उसने देखा कि गोलियों की चपेट में मासूम लोग आ सकते हैं। ऐसे में उसने बिना एक पल की देरी किए, आतंकियों की ओर दौड़ लगा दी और एक आतंकी से हथियार छीनने की कोशिश की।

इस कोशिश में आदिल को गोली लगी, और उन्होंने वहीं अपनी आखिरी सांस ली। लेकिन उनकी इस बहादुरी की वजह से कई जानें बच गईं।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

सय्यद आदिल हुसैन शाह अपने परिवार का इकलौता सहारा थे। उनके परिवार में वृद्ध माता-पिता, पत्नी और छोटे-छोटे बच्चे हैं। इस दुखद घटना ने सिर्फ एक जान नहीं ली, बल्कि एक परिवार की रीढ़ को भी तोड़ दिया।

उनके परिवार से मिलने पहुँचे प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और पूरी सहायता का आश्वासन दिया।

पहलगाम की मिट्टी ने पैदा किया सच्चा शहीद

आदिल जैसे लोगों की वजह से ही भारत आज भी ऐसे कठिन समय में एकजुट होकर खड़ा रहता है। उन्होंने बिना किसी हथियार के, सिर्फ इंसानियत और साहस के दम पर आतंक का सामना किया। ऐसे वीर सपूतों को हमारा नमन।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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