Key Highlights (मुख्य बिंदु):
- पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशभर में सैन्य वर्दी की निगरानी बढ़ाई गई
- देहरादून के पलटन बाजार में सैन्य वर्दी की अवैध बिक्री की आशंका
- सुरक्षा एजेंसियों ने वर्दी के दुरुपयोग को रोकने के लिए अभियान तेज किया
- आतंकियों ने पहलगाम हमले में सेना की वर्दी पहनकर हमला किया था
सैन्य वर्दी की बिक्री पर कड़ी निगरानी
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है। इस हमले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि आतंकवादी सैन्य वर्दी पहनकर आए थे, जिससे वे आम लोगों और सुरक्षा बलों की नजरों में असली सैनिक लगे। इस घटना के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई है, खासकर उन जगहों पर जहां सैन्य वर्दी की बिक्री होती है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पलटन बाजार में अब सुरक्षा जांच तेज़ कर दी गई है। यह बाजार अपने सस्ते और विविध वस्त्रों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह जांच के घेरे में है क्योंकि यहाँ सैन्य वर्दी की अवैध बिक्री की आशंका जताई जा रही है।
हमले के बाद जांच में यह सामने आया कि हमलावर सेना की वर्दी में थे, जिससे उन्हें सुरक्षा पोस्ट पार करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। इससे यह साफ हो गया कि यदि वर्दी की बिक्री पर नियंत्रण न रखा गया, तो इसका इस्तेमाल देशविरोधी ताकतें कर सकती हैं।
देहरादून में वर्दी की दुकानों पर छापेमारी
हमले के 48 घंटे के भीतर ही सुरक्षा बलों ने देहरादून के पलटन बाजार में वर्दी बेचने वाली दुकानों की जांच शुरू कर दी। कुछ दुकानों से बिना अनुमति के वर्दी बेचने की रिपोर्ट भी सामने आई है। प्रशासन ने दुकानदारों को सख्त चेतावनी दी है कि बिना वैध दस्तावेज़ के कोई भी सैन्य या अर्धसैनिक बल की वर्दी न बेची जाए।
पलटन बाजार के स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि वे वर्षों से यूनिफॉर्म बेचते आ रहे हैं, लेकिन अब वे खुद भी सतर्क हो गए हैं। दुकानदार मनोज भटनागर बताते हैं, “अब हम बिना आईडी कार्ड और अनुमति के वर्दी नहीं बेचते। पहलगाम जैसी घटना के बाद हम भी जिम्मेदारी समझते हैं।”
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि सैन्य वर्दी की बिक्री पर नज़र रखी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वर्दी सिर्फ अधिकृत कर्मियों को ही दी जाए। इसके अलावा, वर्दियों पर यूनिक कोडिंग या डिजिटल ट्रैकिंग जैसे सुझावों पर भी विचार हो रहा है।
जनजागरूकता भी जरूरी
सिर्फ प्रशासन की कार्रवाई से बात नहीं बनेगी, जनता को भी सतर्क रहना होगा। अगर किसी संदिग्ध व्यक्ति को सेना की वर्दी में देखा जाए, तो तुरंत नजदीकी पुलिस या सेना को सूचित करें।
देश की सुरक्षा सिर्फ सीमा पर ही नहीं, हमारे बाजारों, दुकानों और समाज की जागरूकता पर भी निर्भर करती है। पहलगाम हमला एक चेतावनी है कि वर्दी जैसी चीज़ें, जो गर्व का प्रतीक होती हैं, आतंकवादियों के हाथ में हथियार बन सकती हैं। अब समय है कि हम सब एकजुट होकर इस खतरे को पहचानें और हर संभव उपाय करें।