मुख्य बिंदु:
- भारत ने आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को रोका
- अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को भी बंद करने का ऐलान
- पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की रणनीति
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल संधियों पर नया विमर्श शुरू
भारत ने सिंधु जल संधि पर लगाई रोक, वाघा बॉर्डर भी बंद
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में एक बार फिर तीखी तल्खी देखने को मिली है। ताज़ा घटनाक्रम में भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोकने का फैसला लिया है। इसके साथ ही, अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को भी बंद कर दिया गया है। यह फैसला हाल ही में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में लिया गया है, जिसने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह फैसला क्यों अहम है?
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि पर सहमति बनी थी। यह संधि अब तक दोनों देशों के बीच सबसे स्थिर समझौतों में से एक मानी जाती रही है। लेकिन जब देश की सीमा पर जवानों की शहादत होती है, और आतंकी हमले लगातार होते हैं, तब सहयोग से ज्यादा सुरक्षा को प्राथमिकता देना स्वाभाविक हो जाता है।
यह निर्णय सिर्फ कागज़ी नहीं है, यह उन लाखों नागरिकों की भावनाओं का प्रतिबिंब है जो हर बार आतंकवाद के सामने एकजुट होकर खड़े होते हैं।
वाघा बॉर्डर का बंद होना क्या दर्शाता है?
वाघा बॉर्डर, जहां हर शाम रिट्रीट सेरेमनी होती थी, केवल एक रस्म नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच संवाद की अंतिम कड़ी मानी जाती रही है। उसका बंद होना केवल लॉजिस्टिक निर्णय नहीं है, यह एक कूटनीतिक संकेत है कि अब भारत कड़ाई से जवाब देने के मूड में है।
जब भी देश की सीमाएं असुरक्षित होती हैं, आम नागरिक सबसे पहले चिंता में डूब जाता है। एक रिपोर्टर के तौर पर जब मैं पंजाब बॉर्डर के गांवों में गया, तो वहां लोगों ने साफ कहा –
“अब सहन नहीं होगा। सरकार ने जो किया, बिल्कुल सही किया।”
ये फैसले राजनीति से ऊपर जाकर एक राष्ट्रीय भावना को अभिव्यक्त करते हैं।
संधि पर रोक का मतलब यह नहीं कि पानी तुरंत बंद कर दिया जाएगा, लेकिन यह संकेत है कि भारत अब जल संसाधनों का उपयोग अपने हित में करना शुरू करेगा। इससे पाकिस्तान की कृषि और जल आधारित अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
विश्व बिरादरी की नजरें अब इस फैसले पर हैं। क्या भारत को समर्थन मिलेगा? क्या पाकिस्तान इस फैसले को यूएन तक ले जाएगा? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ होंगे, लेकिन इतना तय है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।
भारत का यह फैसला एक स्पष्ट संदेश है – “सहन की सीमा अब खत्म हो चुकी है।” देश की जनता अब ऐसे निर्णयों के पीछे खड़ी है जो सुरक्षा को सर्वोपरि रखें। सिंधु जल संधि और वाघा बॉर्डर पर लिए गए इस फैसले ने आने वाले समय की कूटनीति की दिशा तय कर दी है।
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