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शबाना आज़मी: जावेद अख्तर के साथ रिश्ता और बच्चों का न होना

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शबाना आज़मी भारतीय सिनेमा की उन अदाकाराओं में से एक हैं, जिन्होंने सिर्फ अपने अभिनय से ही नहीं, बल्कि अपने विचारों और समाज में बदलाव के लिए किए गए प्रयासों से भी अलग पहचान बनाई है। उनकी निजी ज़िन्दगी भी फिल्मों की तरह अनूठी रही है। खासकर, जावेद अख्तर से उनकी शादी और बच्चे न होने का फैसला, जिसे लेकर उन्होंने खुले दिल से अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं।

जावेद अख्तर के साथ शबाना का रिश्ता

शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की शादी 1984 में हुई थी। यह रिश्ता कई मायनों में खास रहा है। शबाना और जावेद के परिवार पहले से ही एक-दूसरे को जानते थे। उनके बीच की मित्रता धीरे-धीरे प्यार में बदली। हालांकि, जावेद अख्तर पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे—फरहान और जोया—थे। जावेद का शबाना के साथ रिश्ता बनने के बाद उनकी पहली पत्नी, हनी ईरानी से तलाक हो गया। इस रिश्ते की शुरुआत में कई चुनौतियाँ थीं, लेकिन वक्त के साथ दोनों ने एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठा लिया।

शबाना इस रिश्ते में सबसे महत्वपूर्ण बात को ‘सम्मान’ मानती हैं। उनका कहना है कि शादी में प्यार समय के साथ बदलता है, लेकिन सम्मान और दोस्ती ही इसे स्थायी बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शादी में जगह देना और एक-दूसरे को समझना बहुत ज़रूरी है​।

बच्चे न होने का दर्द और समाज की प्रतिक्रिया

शबाना आज़मी ने कभी भी बच्चों को जन्म नहीं दिया, और इस बारे में वे हमेशा खुलकर बात करती रही हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इस सच्चाई को अपनाना उनके लिए आसान नहीं था। उन्हें भी कई बार समाज से वह भावनात्मक दबाव महसूस हुआ, जो ऐसी महिलाओं पर डाला जाता है जो माँ नहीं बन सकतीं। शबाना ने एक इंटरव्यू में बताया कि समाज महिलाओं को “अधूरी” महसूस कराता है अगर वे बच्चे पैदा नहीं कर पातीं। यह भावना उनके लिए कठिन थी, लेकिन उन्होंने इसे आत्मनिर्भरता और अपने काम के प्रति समर्पण से दूर किया।

उनका मानना है कि एक महिला की असली पहचान उसके काम और उसकी रचनात्मकता में होनी चाहिए, न कि केवल उसके रिश्तों या माँ बनने की क्षमता में। उन्होंने बताया कि एक पुरुष की पहचान उसके काम से होती है, और यही विचार सभी के लिए लागू होना चाहिए​।

अपनी माँ से प्रेरणा

शबाना ने इस बात का भी जिक्र किया कि उनकी माँ, शौकत आज़मी, जो खुद एक बेहतरीन अदाकारा थीं, उन्हें इस बारे में बहुत प्रेरित किया। जब शबाना ने अपनी माँ से पूछा कि उनके जीवन की सबसे संतोषजनक भूमिका कौन सी थी, तो उनकी माँ का जवाब था कि उनके काम और उसकी सराहना से उन्हें सबसे ज्यादा संतुष्टि मिली। शबाना ने यह बात अपने जीवन में आत्मसात की और मानती हैं कि महिलाओं को भी इस दिशा में सोचने की ज़रूरत है, ताकि वे समाज के पारंपरिक मानदंडों से बाहर निकलकर अपनी असली पहचान बना सकें​।

शादी और करियर का संगम

शबाना आज़मी और जावेद अख्तर की शादी को 30 साल से ज्यादा हो चुके हैं, और वे इसे एक सफल रिश्ता मानते हैं। शबाना ने एक बार मजाक में कहा था कि शायद उनकी शादी की सफलता का एक बड़ा कारण यह है कि वे एक-दूसरे से बहुत कम मिलते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि उनकी दोस्ती और एक-दूसरे के काम के प्रति सम्मान ने इस रिश्ते को मजबूत बनाया है। दोनों ने अपने-अपने करियर में ऊँचाइयाँ हासिल की हैं और एक-दूसरे की सफलता का हिस्सा बने हैं।

शबाना आज़मी की प्रेरणादायक जीवन यात्रा

शबाना आज़मी सिर्फ एक अदाकारा नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने हमेशा महिलाओं के हक और उनके अधिकारों की बात की है। उन्होंने बार-बार यह संदेश दिया है कि महिलाओं को अपने आत्मसम्मान और अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। बच्चे न होने के बावजूद शबाना आज़मी ने अपने जीवन को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है कि एक महिला की पहचान उसके मातृत्व से नहीं, बल्कि उसकी मेहनत, रचनात्मकता और समाज में उसके योगदान से होती है​।

शबाना आज़मी की जीवन यात्रा हमें यह सिखाती है कि व्यक्तिगत चुनौतियों और समाज के बनाए हुए मानदंडों के बावजूद, हमें अपनी पहचान को अपने काम और आत्मविश्वास के ज़रिए स्थापित करना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन और रिश्तों में जो संतुलन बनाए रखा है, वह आज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है। उनका यह स्पष्ट संदेश है कि मातृत्व जीवन का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह एक महिला की सफलता का मापदंड नहीं होना चाहिए।

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Gunvant

गुणवंत एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हैं, जो सटीक और रोचक खबरें प्रस्तुत करने में माहिर हैं। समसामयिक मुद्दों पर उनकी गहरी समझ और सरल लेखन शैली पाठकों को आकर्षित करती है। साथ ही वे क्रिकेट में अपनी रूचि रखते है। गुणवंत का लक्ष्य समाज को जागरूक और प्रेरित करना है। वे हमेशा निष्पक्षता और सच्चाई को प्राथमिकता देते हैं।

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