भारतीय संस्कृति में हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है। उनकी भक्ति केवल श्रद्धा ही नहीं बल्कि एक गहन आध्यात्मिक अनुभव भी है। संकट मोचन हनुमान अष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak) एक ऐसा स्तोत्र है, जिसे पढ़ने से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि जीवन के कठिनतम संकटों से मुक्ति भी संभव होती है।
इस लेख में हम जानेंगे:
- संकट मोचन हनुमान अष्टक का इतिहास और उत्पत्ति
- इसके श्लोकों का अर्थ और आध्यात्मिक संकेत
- इसके पाठ से प्राप्त चमत्कारी अनुभव
- इसे पढ़ने की विधि और उचित समय
- जीवन में कैसे लाएं संकटों से मुक्ति
संकट मोचन हनुमान अष्टक: इतिहास और रचना
संकट मोचन हनुमान अष्टक की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह आठ श्लोकों का एक स्तोत्र है, जिसमें हनुमान जी के जीवन के आठ प्रमुख प्रसंगों का वर्णन है, जहाँ उन्होंने भगवान राम और उनके भक्तों को संकट से मुक्त किया।
क्यों कहा जाता है “संकट मोचन”?
क्योंकि हनुमान जी ने हर युग, हर समय, और हर भक्त के जीवन में संकटों को हराया है — चाहे वह माता सीता की खोज हो, लक्ष्मण की मूर्छा हो या स्वयं भगवान राम का साथ देना।
Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics
संकट मोचन हनुमानाष्टक
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
।। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
.
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।
अष्टक के प्रत्येक श्लोक का आध्यात्मिक संकेत
संकट मोचन हनुमान अष्टक के प्रत्येक श्लोक में एक कथा छिपी है, जिसका आध्यात्मिक अर्थ भी होता है। आइए, संक्षेप में समझते हैं:
- श्लोक 1: बाल रूप में सूर्य को निगल जाना — आत्मबल और ऊर्जा के नियंत्रण का प्रतीक
- श्लोक 2: सुरसा का वध — आत्म-विश्वास और चुनौती से टकराने की प्रेरणा
- श्लोक 3: लंका दहन — अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होने का साहस
- श्लोक 4: विभीषण को शरण देना — सद्गुण को अपनाना
- श्लोक 5: लक्ष्मण को संजीवनी देना — सेवा और समर्पण का भाव
- श्लोक 6: अशोक वाटिका में सीता माता से मिलन — श्रद्धा और धैर्य का प्रतीक
- श्लोक 7: रावण पर विजय — धर्म की जीत
- श्लोक 8: सब संकटों से रक्षा की प्रार्थना — भक्त का पूर्ण समर्पण
यह भी पढ़े: संपुर्ण हनुमान साठिका का पाठ: जानिए इसके अद्भुत लाभ और महत्व
Sankat Mochan Hanuman Ashtak के पाठ से जुड़े चमत्कारी अनुभव
बहुत से भक्तों ने यह अनुभव किया है कि नियमित रूप से संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने से:
✅ कोर्ट केस में विजय मिली
✅ भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिली
✅ मानसिक तनाव कम हुआ
✅ परीक्षा और इंटरव्यू में सफलता मिली
✅ पारिवारिक कलह का समाधान हुआ
✅ असाध्य रोगों से राहत मिली
एक भक्त की कहानी जिसने खबर हरतरफ के साथ साझा की:
दिल्ली की एक महिला ने शेयर किया कि उनके बेटे को कैंसर हो गया था। डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए थे। उन्होंने संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ 41 दिन तक लगातार किया और आश्चर्यजनक रूप से उनका बेटा ठीक हो गया। डॉक्टर भी हैरान रह गए।
संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ कैसे करें?
🔹 समय: मंगलवार और शनिवार को प्रातः या संध्या में
🔹 स्थान: पूजा कक्ष या हनुमान मंदिर
🔹 विधि: स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें, दीपक और अगरबत्ती जलाएं
🔹 पाठ संख्या: कम से कम 1 बार, परंतु 3, 7 या 11 बार करने से विशेष लाभ होता है
🔹 मनःस्थिति: शांत और समर्पण भाव से करें पाठ
नोट: मोबाइल से पढ़ें या पुस्तक से, भावना शुद्ध होनी चाहिए।
अष्टक का पाठ जीवन में कैसे लाता है सकारात्मक परिवर्तन?
संकट मोचन हनुमान अष्टक न केवल संकटों को दूर करता है, बल्कि:
- आत्म-विश्वास बढ़ाता है
- निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है
- भय, चिंता और निराशा से मुक्त करता है
- आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है
- मन को एकाग्र करता है, जिससे ध्यान और साधना में प्रगति होती है
संकट मोचन हनुमान अष्टक और विज्ञान
हालांकि यह धार्मिक ग्रंथ है, परंतु इसके उच्चारण में आने वाली ध्वनि तरंगें (साउंड वाइबरेशन्स) मस्तिष्क की तरंगों को स्थिर करती हैं। यह विज्ञान भी मानता है कि मंत्रों का जाप ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है।
जीवन के हर संकट में सहायक
चाहे ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव हो या पारिवारिक समस्या, नौकरी की चिंता हो या व्यापार की बाधा — sankat mochan hanuman ashtak का पाठ हर परिस्थिति में राहत देने वाला है।
सुझाव: आप Sankatmochan Hanuman Ashtak का ऑडियो या वीडियो यहु पर सुन सकते हैं और साथ में ऊपर दिया हुआ पाठ कर सकते हैं।
संकट मोचन हनुमान अष्टक केवल एक भजन नहीं, बल्कि भक्त के जीवन में सुरक्षा कवच है। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर आत्मा को प्रभु से जोड़ता है। यदि आप भी जीवन में किसी समस्या से गुजर रहे हैं, तो आज से ही इसका पाठ आरंभ करें, चमत्कार आपका इंतजार कर रहा है।
यह भी पढ़े: श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र | Shri Hanuman Vadvanal Stotra In Hindi