हनुमान चालीसा: आत्मिक शक्ति का अमृत स्रोत
सनातन धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव और माता पार्वती के अवतार के रूप में माना जाता है। हनुमान चालीसा भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है जो उन्हें आत्मिक शक्ति, स्थिरता और समर्पण की दिशा में ले जाता है। यह पाठ तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया है और हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करने का मार्ग दर्शाता है।
हनुमान चालीसा के महत्वपूर्ण तत्व:
हनुमान चालीसा पढ़ने के कई कारण हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- आत्म विश्वास: हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त का आत्म विश्वास मजबूत होता है। हनुमान जी की कृपा से वे सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं। चालीसा में वर्णित हनुमान जी की भक्ति, उनके समर्पण और शक्ति को महसूस करते हुए, भक्त अपने कार्यों में स्थिरता का अनुभव करता है।
- भक्ति और समर्पण: हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त अपनी भक्ति में स्थिर होता है और हर कार्य को हनुमान जी की समर्पित करता है। चालीसा में वर्णित मंगल करण, बजरंग बाण, और हनुमान चालीसा के पाठ से भक्त का आत्म विकास होता है और वे अपने जीवन में सफलता की ओर बढ़ते हैं।
- शांति और सुख: हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है। चालीसा में वर्णित मंत्रों और श्लोकों की शक्ति से, भक्त की मानसिक और आत्मिक शांति की अनुभूति होती है और वे जीवन के हर पहलू में सुखी रहते हैं।
- रोग निवारण: हनुमान जी की कृपा से रोग निवारण होता है और शरीर में स्वास्थ्य और ऊर्जा की वृद्धि होती है। चालीसा के पाठ से भक्त के शरीर में ऊर्जा की झलक बनी रहती है और वे स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं।
- कर्म सफलता: हनुमान चालीसा का पाठ करने से कर्म सफलता में वृद्धि होती है और भक्त के जीवन में समृद्धि आती है। चालीसा के पाठ से भक्त के कार्यों में सफलता का सूचना होती है और वे सफलता की ऊंचाइयों को छूते हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से भक्त अपने आप को आत्मिक और मानसिक रूप से स्थिर और प्रेरित महसूस करता है। इसे सुबह या शाम में नियमित रूप से पढ़ने से भक्त की जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से भक्त अपने आप को आत्मिक और मानसिक रूप से स्थिर और प्रेरित महसूस करता है। इसे सुबह या शाम में नियमित रूप से पढ़ने से भक्त की जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
सम्पूर्ण हनुमान चालीसा:
दोहा:
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरणऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
चौपाई:
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीश तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अञ्जनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कञ्चन बरण विराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुञ्चित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महाजगवंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिवेको आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबेको रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज सवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
यम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरणा।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ठ सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहुं गुरुदेव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महासुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥
दोहा:
पवन तनय संकट हरण मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभूप॥
जय हनुमान जी की!
Hanuman Chalisa In Hindi (Video)
हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त को आत्मिक शक्ति, स्थिरता और समर्पण की भावना मिलती है। यह पाठ उन्हें जीवन में समृद्धि और सुख की दिशा में ले जाता है। भक्त नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते रहें और हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करें।
जय श्री राम! जय हनुमान जी की!