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Geet Govind with Lyrics: श्री जयदेव कृत अमर काव्य और उसका आध्यात्मिक प्रभाव

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Geet Govind with Lyrics: “जय जयदेव हरे”… एक ऐसा मंत्र, एक ऐसी भक्ति पूर्ण ध्वनि, जो न केवल कानों में मधुरता भरती है, बल्कि आत्मा तक पहुंचकर हमें ईश्वर की ओर खींचती है। इस लेख में हम जानेंगे उस दिव्य ग्रंथ ‘गीत गोविन्द’ के बारे में जिसे कवि सम्राट श्री जयदेव जी ने लिखा था और जिसकी एक-एक पंक्ति भक्तों के हृदय में श्रीकृष्ण की लीला का संचार करती है।

‘गीत गोविन्द’ एक संगीतमय संस्कृत काव्य है जिसे 12वीं शताब्दी में श्री जयदेव जी ने रचा था। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम-लीलाओं का वर्णन इतनी सुंदरता से किया गया है कि यह रचना केवल साहित्य नहीं, अपितु श्रीहरि की भक्ति का गान बन गई है। इसमें 12 सर्ग (अध्याय) और कुल 24 अश्टपदी (आठ-आठ श्लोकों के समूह) हैं।

 

“Geet Govind with Lyrics: श्री जयदेव कृत गीत गोविन्द”

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‘गीत गोविन्द’ केवल एक काव्य नहीं, यह संगीतात्मक आराधना है। इसकी अश्टपदियाँ विभिन्न रागों में गाई जाती हैं, जिससे यह अधिक प्रभावशाली बन जाती है। भक्तों के लिए यह श्रीकृष्ण से संवाद का माध्यम बन जाती हैं।

प्रमुख पंक्तियाँ एवं उनका भावार्थ

🔸 राधे कृष्णा हरे गोविंद गोपाला

➡️ यह पंक्ति श्रीकृष्ण के सभी प्रमुख नामों को समाहित करती है – गोविंद (गोपियों के स्वामी), गोपाला (ग्वालों के संरक्षक)।

🔸 नन्द जू को लाला यशोदा दुलाला

➡️ श्रीकृष्ण को नंद बाबा और यशोदा मैया का लाडला बताया गया है। यह पंक्ति वात्सल्य रस से भरपूर है।

🔸 तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए

➡️ यह एक शरणागत श्लोक है, जहां भक्त पूर्ण समर्पण की भावना से प्रभु के चरणों में विनम्र प्रणाम करता है।

गीत गोविन्द की भक्ति यात्रा

हर वो व्यक्ति जो ‘Geet Govind with Lyrics’ को पढ़कर और गाकर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, उसे भीतर से शांति, भक्ति और दिव्यता की अनुभूति होती है। यह यात्रा केवल श्लोकों की नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है।

डिजिटल युग में गीत गोविन्द

आज के युग में आप ‘Geet Govind with Lyrics’ के वीडियो, ऑडियो और ई-बुक्स आसानी से ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। इससे न केवल इसकी पहुंच बढ़ी है बल्कि युवा पीढ़ी भी इससे जुड़ रही है।

आप YouTube पर ‘Jai Jaidev Hare – Geet Govind with Lyrics’ सर्च कर गीतों का आनंद ले सकते हैं।

क्यों करें ‘गीत गोविन्द’ का पाठ?

  • श्रीकृष्ण से आत्मिक संबंध स्थापित होता है।
  • भक्ति और प्रेम की अनुभूति होती है।
  • जीवन के तनाव और विकार दूर होते हैं।
  • आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

तो आइए, आज से ही ‘जय जयदेव हरे’ का नियमित रूप से उच्चारण करें और अपने जीवन को श्रीहरि की भक्ति से आलोकित करें।

“राधे कृष्णा हरे गोविंद गोपाला, नन्द जू को लाला यशोदा दुलाला – जय जय देव हरे!”

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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