माँ सिद्धिदात्री चैत्र नवरात्रि 2024 दिन 9: यह फिर से वह उत्सवी समय है! चैत्र नवरात्रि हर साल पूरे देश में बड़े शान से मनाई जाती है। हिन्दू समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला यह त्योहार, नौ दिनों तक होता है और माँ दुर्गा को समर्पित है।
नवरात्रि का महत्व: नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें,” और प्रत्येक दिन एक माँ दुर्गा के अवतार को समर्पित किया जाता है। माँ दुर्गा के नौ रूप हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल को समाप्त होगी।
माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि, रंग, शुभ मुहूर्त, भोग, देवी दुर्गा आरती और मंत्र:
चैत्र नवरात्रि 2024 दिन 9 के दिन, भगवान विष्णु के नौ रूपों में से नौ वें रूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। माँ सिद्धिदात्री को पूर्णता की दाता माना जाता है। वह अपने भक्तों को ज्ञान देती है और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती है।
पूजा विधि:
- रंग: नीला रंग
- शुभ मुहूर्त: दिनांक: बुधवार, 17 अप्रैल 2024। मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 11:03 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक, कुल: 2 घंटे 35 मिनट।
- भोग: नारियल, खीर, पुआ, पंचामृत, पूरी, हलवा
- आरती और मंत्र: आरती और मंत्र के लिए ऊपर दी गई जानकारी देखें।
महत्वपूर्ण पूजाएं:
- अयुध पूजा: उपकरणों की शुद्धि के लिए।
- कन्या पूजा: युवा कन्याओं को भगवान दुर्गा के रूप में पूजित किया जाता है।
- सरस्वती पूजा: दक्षिण भारत में सरस्वती पूजा के रूप में मनाई जाती है।
- हवन: पूजा के दौरान हवन किया जाता है।
- सुवासिनी पूजा: सुवासिनियों की पूजा होती है।
- दंपति पूजा: पति-पत्नी की पूजा की जाती है।
- मानसिक स्वच्छता के लिए योगदान: ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान के लिए माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
नौवें दिन की रंग:
पीकॉक ग्रीन, जिसका मतलब है विविधता और अधिकता। इस दिन नवरात्रि में इसे पहनकर समूह से अलग दिखें।
यह विशेष दिन माँ सिद्धिदात्री की अन्य पूजाएं और शुभकार्यों का उल्लेख करता है। इसमें अहिल्याबाई होल्कर, साधना की भेंट, सरस्वती पूजा, और भवानी पूजा भी शामिल हैं।
नवरात्रि का भोग: माँ सिद्धिदात्री को अर्पित अन्न और प्रसाद
नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान, विभिन्न भोग प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो माँ दुर्गा को समर्पित किया जाता है। नौवें दिन को माँ सिद्धिदात्री के भोग का खास महत्व होता है।
नौवें दिन का भोग:
- नारियल: नारियल को माँ सिद्धिदात्री के भोग का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। यह सिद्धिदात्री माँ को अर्पित किया जाता है और उसे बहुतायत सम्पत्ति और सफलता का आशीर्वाद माना जाता है।
- खीर: खीर माँ के प्रसाद के रूप में उपहारित की जाती है। यह पौष्टिक और मिठाईयों से भरपूर होती है जो उसके आशीर्वाद का प्रतीक होती है।
- पुआ: पुआ एक अन्य महत्वपूर्ण भोग है जो माँ को अर्पित किया जाता है। यह भोग प्रसाद के रूप में उपहारित किया जाता है और भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देता है।
- पंचामृत: पंचामृत में दूध, दही, शहद, गन्ध और घी शामिल होते हैं। यह माँ को समर्पित किया जाता है और उसे प्रसन्न करने के लिए उपयोगी माना जाता है।
इन भोगों को माँ सिद्धिदात्री के पूजन में अर्पित करने से भक्तों को समृद्धि, सफलता और शांति की प्राप्ति होती है। भोगों के साथ-साथ, भक्तों को आपस में बांधने और समृद्धि की कामना करने का अवसर मिलता है। इसलिए, नवरात्रि के इस विशेष दिन पर भक्तों के द्वारा भोगों का समर्पण उत्साह और भक्ति के साथ किया जाता है।
माँ सिद्धिदात्री आरती:
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम, जबहीं हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है, तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरण करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे, कभी काम उसके रहे न अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अंबे सावली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आश्रा है तुम्हारा ही माता, भक्ति है सावली तू जिसकी दाता।
माँ दुर्गा मंत्र:
सर्व मंगला मंगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरि, नारायणि नमोस्तुते।
सर्व स्वरूपे सर्वेशे, सर्व शक्ति समन्विते भये भ्यस्त्रहिनो देवी, दुर्गे देवी नमोस्तुते।
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचन त्रय भूषितं पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोस्तुते।
ज्वाला कराल मात्युग्रम शेष सुरासुदानम त्रिशूलं पातु नो भीतेर् भद्रकालि नमोस्तुते।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
इन मंत्रों और आरती के माध्यम से हम देवी दुर्गा को अर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इनका जाप और गायन समाधान और शांति का अनुभव कराता है।
समाप्ति: नवरात्रि के अंत में, हम माँ दुर्गा के इस उत्सव का आनंद लेते हैं, जो सार्वभौमिक एवं आध्यात्मिक स्नेह की भावना को प्रकट करता है।
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