Key Highlights:
- पाकिस्तान की ओर से उरी के सलामाबाद गांव में गोलाबारी
- कई घर मलबे में तब्दील, स्थानीय लोग सदमे में
- प्रभावित परिवारों की आंखों में डर और दर्द
- सरकार से तत्काल मदद की मांग
- इंसानी जज़्बातों और त्रासदी की झलक
उरी के सलामाबाद में पाकिस्तानी गोलाबारी के बाद तबाह हुए घर
उरी, जम्मू-कश्मीर की वो ज़मीन जो दशकों से सीमा पार से होने वाली गोलीबारी का गवाह रही है। लेकिन इस बार, सलामाबाद गांव में जो हुआ, उसने दिल दहला दिया। पाकिस्तान की ओर से की गई भारी गोलाबारी के बाद कई घर मलबे में तब्दील हो गए हैं। यह कोई खबर मात्र नहीं, बल्कि वहां रहने वालों की जिंदगी की सबसे भयावह हकीकत है।
हमने जब सलामाबाद गांव के एक कोने में खड़े बुज़ुर्ग गुलाम अहमद से बात की, तो उनकी आंखों में आंसू थे। “मेरी पूरी जिंदगी की कमाई इस घर में थी। एक पल में सब खत्म हो गया। अब कहां जाएं?”
ज़िंदगी की बुनियाद टूटी, उम्मीदें भी मलबे में
गांव की तंग गलियों में धूल उड़ रही थी, बच्चे डरे हुए थे और महिलाएं मदद की पुकार लगा रही थीं। कई घरों की छतें उड़ चुकी थीं, दीवारें धराशायी थीं और घर का सामान चारों तरफ बिखरा पड़ा था। अनीसा बेगम, जिनका मकान पूरी तरह ढह गया, रोते हुए कहती हैं,
“बस एक मिनट और होते, तो हम सब उसी मलबे में होते।”
सरकार से सहायता की पुकार
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और केंद्र सरकार से तुरंत मदद की मांग की है। अभी तक राहत सामग्री का वितरण शुरू नहीं हुआ है, जिससे गांव में गुस्सा और भय दोनों व्याप्त हैं।
“हम सिर्फ खबर नहीं बनना चाहते। हमें मदद चाहिए, सुरक्षित जीवन चाहिए,” – यह आवाज़ें गांव की हर गली से सुनाई दे रही थीं।
#Watch | Heart-wrenching visuals from Salamabad Uri show homes reduced to rubble after shelling, with devastated families mourning their losses.#OperationSindoor #Uri #SalamabadUri pic.twitter.com/YOZA8Cu24V
— News18 (@CNNnews18) May 8, 2025
सुरक्षा की मांग और भविष्य की चिंता
स्थानीय पंचायत सदस्य इरफान लोन ने कहा, “ये कोई पहली बार नहीं है। लेकिन इतनी गंभीर तबाही पहले नहीं देखी। केंद्र को सीमावर्ती गांवों की सुरक्षा के लिए मजबूत रणनीति बनानी होगी।”
गांव के लोग अब रात को खुले में सोने को मजबूर हैं। बारिश हो या ठंड, उनके पास सिर छुपाने की जगह नहीं बची है।
मानवीय त्रासदी बनती जा रही है सामान्य खबर
उरी में इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। लेकिन हर बार यह खबर बनकर खत्म हो जाती है। ज़रूरत है स्थायी समाधान की, जिससे न सिर्फ जान-माल की सुरक्षा हो, बल्कि लोगों का विश्वास भी कायम रह सके।
हालांकि सेना ने मोर्चा संभाल रखा है और पाकिस्तान की ओर जवाबी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन स्थानीय लोगों को तुरंत राहत की ज़रूरत है। सेना ने भी यह स्पष्ट किया कि नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाना जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, नुकसान का आंकलन किया जा रहा है और जल्द ही मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सलामाबाद की पुकार
सलामाबाद की तसवीरें सिर्फ एक गांव की नहीं हैं, यह सीमा पार से जारी खतरे की एक बानगी हैं, जो हर रोज़ किसी न किसी ज़िंदगी को तबाह कर देती है।
इस घटना से हमें यह समझना होगा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा, सुविधा और सम्मान सबसे पहले होना चाहिए। ये केवल सीमाएं नहीं, हमारी आत्मा की सीमा हैं।
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