मुख्य बिंदु:
- गृह मंत्रालय ने 7 मई को देशभर में नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है।
- ड्रिल में एयर रेड सायरन, नागरिकों और छात्रों का प्रशिक्षण, ब्लैकआउट अभ्यास, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का छिपाव और निकासी योजनाओं की समीक्षा शामिल होगी।
- यह कदम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया गया है, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी।
मॉक ड्रिल्स: सुरक्षा की नई दिशा
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए, जिनमें अधिकांश हिंदू थे। हमलावरों ने धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाया। इस भयावह घटना के बाद, गृह मंत्रालय ने 7 मई को देशभर में नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है।
ड्रिल का उद्देश्य और प्रक्रिया
इन मॉक ड्रिल्स का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार करना है। ड्रिल में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होंगी:
- एयर रेड सायरन का संचालन: हमले की चेतावनी देने के लिए।
- नागरिकों और छात्रों का प्रशिक्षण: आत्म-सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए।
- ब्लैकआउट अभ्यास: रात के समय सभी लाइट्स बंद कर अभ्यास करना।
- महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का छिपाव: संवेदनशील स्थानों को छिपाने के उपाय।
- निकासी योजनाओं की समीक्षा: आपातकालीन निकासी की योजना बनाना और उसका अभ्यास करना।
फिरोजपुर छावनी में 4 मई को पहले ही 30 मिनट का ब्लैकआउट अभ्यास किया गया, जिसमें सभी लाइट्स बंद कर दी गईं और वाहनों की लाइट्स भी बंद रखने के निर्देश दिए गए।
नागरिकों की भूमिका और तैयारी
इन ड्रिल्स का उद्देश्य केवल सरकारी एजेंसियों की तैयारी नहीं है, बल्कि आम नागरिकों को भी आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार करना है। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर भी प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। नागरिकों को सिखाया जाएगा कि संकट के समय कैसे प्रतिक्रिया दें, सुरक्षित स्थानों की पहचान करें और आवश्यक संसाधनों का उपयोग करें।
यह मॉक ड्रिल्स न केवल वर्तमान संकट से निपटने के लिए हैं, बल्कि भविष्य में किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए देश को तैयार करने का एक महत्वपूर्ण कदम हैं। नागरिकों की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता ही देश की सुरक्षा को मजबूत बना सकती है।
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