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भारतीय नौसेना का शक्ति प्रदर्शन: कई एंटी-शिप फायरिंग्स से दिखाई तैयारियों की ताकत

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Key Highlights:

  • भारतीय नौसेना ने सफलतापूर्वक कई एंटी-शिप फायरिंग्स कीं।
  • प्लेटफॉर्म्स, सिस्टम्स और क्रू की तैयारियों को पुनः प्रमाणित किया।
  • फायरिंग्स, पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा संदेश का हिस्सा।
  • NIA ने पहलगाम हमले की जांच अपने हाथ में लेने की प्रक्रिया शुरू की।

भारत की समुद्री ताकत ने एक बार फिर दुनिया को अपनी तैयारी और मजबूती का एहसास कराया है। हाल ही में भारतीय नौसेना के जहाजों ने कई सफल एंटी-शिप फायरिंग्स कर अपनी युद्धक क्षमताओं का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। यह अभ्यास न केवल हमारी रक्षा तैयारियों का हिस्सा था, बल्कि हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक सशक्त संदेश भी था।

क्यों हुआ यह अभ्यास?

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटक अपनी जान गंवा बैठे। इस दर्दनाक घटना के बाद, पूरे देश में आक्रोश और गहरी संवेदना का माहौल था। इसी के मद्देनज़र, भारतीय नौसेना ने अपनी तैयारियों को परखने और शत्रुओं को स्पष्ट संदेश देने के लिए यह अभ्यास किया।

यह फायरिंग्स न केवल तकनीकी स्तर पर प्लेटफॉर्म्स और सिस्टम्स की क्षमताओं को रिवैलिडेट करने के लिए की गईं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी थीं कि नौसेना का हर क्रू मेंबर हर परिस्थिति में तुरंत और सटीक प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।

कैसे हुई फायरिंग्स?

भारतीय नौसेना के कई अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया। जहाजों ने एक साथ और अलग-अलग, दोनों तरह से, लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलों से फायरिंग कर अपने लक्ष्यों को सटीकता से भेदा।

इस दौरान:

  • फायरिंग्स में रियल टाइम टार्गेटिंग की गई।
  • लंबी दूरी पर मौजूद वर्चुअल दुश्मन जहाजों को नष्ट करने की प्रक्रिया अपनाई गई।
  • क्रू ने आपातकालीन परिस्थितियों में फैसले लेने और तेजी से कार्रवाई करने की तैयारी को दिखाया।

यह अभ्यास तकनीक, समन्वय और कौशल का एक आदर्श उदाहरण रहा, जिसमें हर छोटा-बड़ा पहलू बारीकी से जांचा गया।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का कदम

इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी पहलगाम हमले की जांच को औपचारिक रूप से अपने हाथ में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। NIA की टीमें, जो पिछले कुछ दिनों से घटना स्थल पर डटी हैं, ने सबूत जुटाने और आतंकियों तक पहुँचने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

यह कदम इस बात का संकेत है कि देश अब आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर पूरी मजबूती से आगे बढ़ रहा है। नौसेना की इस फायरिंग के साथ मिलकर यह एक साझा प्रयास बनता है — रक्षा और न्याय दोनों मोर्चों पर।

अनुभव से क्या सीखा गया?

जहाँ एक तरफ भारतीय नौसेना ने तकनीकी स्तर पर अपनी क्षमताओं को पुनः सिद्ध किया, वहीं दूसरी ओर यह अभ्यास मनोबल बढ़ाने वाला भी रहा। एक सैनिक के रूप में यह एहसास बेहद महत्वपूर्ण होता है कि राष्ट्र का हर अंग — थल, जल और वायु — हर चुनौती का सामना करने के लिए हर पल तैयार है।

यह प्रदर्शन सिर्फ एक अभ्यास नहीं था, यह एक विश्वास का प्रदर्शन था — देशवासियों को यह यकीन दिलाने का कि भारतीय नौसेना हर परिस्थिति में उनके सम्मान और सुरक्षा के लिए खड़ी है।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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