Key Highlights (मुख्य बिंदु):
- भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक रूप से सूचित किया कि सिंधु जल संधि को फिलहाल स्थगित किया जा रहा है।
- यह फैसला पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया।
- जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के समकक्ष सैयद अली मुर्तज़ा को पत्र भेजा।
- यह निर्णय भारत की जल नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति में बड़ा संकेत माना जा रहा है।
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को भेजा गया औपचारिक पत्र
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक और सख्त कदम उठाया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को एक औपचारिक नोट भेजा है, जिसमें यह साफ तौर पर कहा गया है कि सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को “फिलहाल के लिए स्थगित (held in abeyance)” किया जा रहा है।
यह फैसला न सिर्फ कूटनीतिक रूप से अहम है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अब केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि हर मोर्चे पर ठोस जवाब देने को तैयार है।
आधिकारिक जानकारी क्या कहती है?
जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने यह पत्र पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तज़ा को भेजा है। इस पत्र में साफ तौर पर उल्लेख है कि भारत अब इस संधि को “फिलहाल के लिए” रोक रहा है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में सिंधु नदी के जल प्रवाह और प्रबंधन पर भारत की नीति में परिवर्तन संभव है।
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह ऐतिहासिक संधि हुई थी, जिसके तहत सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का जल पाकिस्तान को, और रावी, ब्यास व सतलुज का जल भारत को मिला था।
अब तक भारत ने इस संधि का पूरी तरह से पालन किया है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे आतंकी हमलों और LoC पर बढ़ती घुसपैठ ने भारत को अपनी नीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है।
पहल्गाम हमला: जल-संधि पर असर
जम्मू-कश्मीर के पहल्गाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। भारत सरकार ने इसे गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा संकट माना और इसके जवाब में रणनीतिक स्तर पर यह कदम उठाया गया।
इस फैसले का व्यापक असर क्या होगा?
- पाकिस्तान पर दबाव: इस फैसले से पाकिस्तान पर जल संकट का खतरा बढ़ सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय संदेश: भारत अब अपने हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने को तैयार है।
- आंतरिक नीति में बदलाव: जल नीति पर भारत का रवैया अब पहले से ज्यादा रणनीतिक हो सकता है।
क्या यह स्थायी रोक है?
नहीं, फिलहाल इसे स्थगन (abeyance) कहा गया है, यानी यह निर्णय अस्थायी है। लेकिन यदि हालात में सुधार नहीं होता, तो भारत इसे स्थायी भी बना सकता है।
जलविज्ञानी और रणनीति विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला भारत की एक स्पष्ट जल-सुरक्षा नीति का संकेत देता है। इससे भारत-पाक जल संबंधों में एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।
यह फैसला न केवल एक जल नीति का मसला है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सिंधु जल संधि पर रोक लगाना एक प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक फैसला है, जिससे पाकिस्तान को कूटनीतिक और जलवायु संकट दोनों झेलने पड़ सकते है।