Key Highlights (मुख्य बिंदु):
- लश्कर-ए-तैयबा आतंकी आसिफ शेख उर्फ आदिल गूरी का घर ढहाया गया
- पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत, अधिकांश पर्यटक
- आदिल ने 2018 में कानूनी रूप से पाकिस्तान की यात्रा की और आतंकी ट्रेनिंग ली
- जम्मू-कश्मीर लौटने के बाद आतंक गतिविधियों में सक्रिय हुआ
- कार्रवाई सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त मुहिम का हिस्सा
आतंकी के घर पर चली बुलडोज़र, पहलगाम हमले के आरोपी आसिफ शेख का घर जमींदोज
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सरकार ने आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है। पहलगाम आतंकी हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी आसिफ शेख उर्फ आदिल गूरी का घर अब धराशायी कर दिया गया है। यह वही हमला है जिसमें 26 बेगुनाहों की जान गई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे।
कौन है आदिल गूरी?
आदिल गूरी का असली नाम आसिफ शेख है और वह जम्मू-कश्मीर का ही रहने वाला था। 2018 में वह कानूनी तौर पर पाकिस्तान गया था और वहीं से उसने आतंक की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह पिछले साल गुपचुप तरीके से जम्मू-कश्मीर लौटा और लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क से जुड़ गया। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आदिल ने पहलगाम हमले की साजिश रची थी और उसका सीधा संबंध इस खौफनाक वारदात से था।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई अवैध निर्माण और आतंक से जुड़े व्यक्तियों पर नकेल कसने की नीति के तहत की गई है। आतंकियों को अब यह साफ संदेश मिल रहा है कि अगर वो समाज में खौफ फैलाएंगे, तो उनके अपने भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। यह महज एक बुलडोज़र की कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ सामाजिक न्याय की एक मिसाल बनती जा रही है।
House of Lashkar terrorist Asif Sheikh, linked to the #PahalgamTerrorAttack, demolished in Tral, South Kashmir #KashmirTerror #Terrorism pic.twitter.com/nNkCDxbw3Z
— Sachin ( Modi Ka Parivar ) (@SM_8009) April 25, 2025
सरकारी नीति का बदला हुआ स्वरूप
पिछले कुछ सालों में सरकार ने आतंकवाद से जुड़े लोगों की संपत्तियों को जब्त या ध्वस्त करने की नीति को काफी सख्ती से लागू किया है। इसका मकसद सिर्फ आतंकियों को सज़ा देना नहीं, बल्कि उन्हें मिलने वाले किसी भी तरह के सामाजिक या आर्थिक समर्थन को जड़ से खत्म करना है।
आसिफ के घर पर चली इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “जो लोग अपने फायदे के लिए मासूमों की जान लेते हैं, उनके लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”
यह कार्रवाई न सिर्फ आतंकियों को चेतावनी है बल्कि आम नागरिकों को यह विश्वास भी देती है कि देश की सुरक्षा एजेंसियां हर उस व्यक्ति के खिलाफ सख्त हैं जो देश की अखंडता को चुनौती देता है। पहलगाम में जो त्रासदी हुई, उसे भुलाना मुश्किल है, लेकिन ऐसी कार्रवाई से यह भरोसा ज़रूर बढ़ता है कि अब आतंक के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है।
यह भी पढ़े: सिंधु जल संधि पर लगाई अस्थायी रोक आज भेजा गया औपचारिक पत्र