Key Highlights:
- रक्षा मंत्रालय ने मीडिया के लिए नई एडवाइजरी जारी की
- सुरक्षा बलों की लाइव कवरेज और रियल टाइम रिपोर्टिंग से बचने की हिदायत
- कारगिल, 26/11 और कंधार जैसे मामलों से मिली सीख
- केवल सरकार द्वारा नामित अधिकारी ही साझा करेंगे ऑपरेशन की जानकारी
- राष्ट्रहित में जिम्मेदार रिपोर्टिंग की अपील
अब नहीं होगी सुरक्षा बलों की लाइव कवरेज: जानिए क्यों सरकार ने मीडिया को दी सख्त चेतावनी?
रिपोर्टर की कलम से: यह खबर किसी खबर की तरह नहीं, बल्कि उस चेतावनी की तरह है जिसे अगर समय रहते न समझा गया, तो इसका असर ना सिर्फ सैन्य ऑपरेशनों पर, बल्कि सैनिकों की सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में मीडिया हाउसों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को लेकर एक अहम एडवाइजरी जारी की है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्यों जारी की गई एडवाइजरी?
बीते कुछ वर्षों में हमने कई बार देखा है कि जब कोई आतंकवादी हमला या सैन्य ऑपरेशन होता है, तो मीडिया चैनल्स उस घटना को लाइव दिखाने में जुट जाते हैं। इस ‘ब्रेकिंग न्यूज’ की होड़ में वे कई बार ऐसी जानकारियां भी प्रसारित कर देते हैं, जो सुरक्षा बलों की रणनीति, गोपनीयता और सुरक्षा को सीधे खतरे में डाल देती हैं।
रक्षा मंत्रालय ने साफ कहा है कि कारगिल युद्ध, 26/11 मुंबई हमला और कंधार विमान हाईजैक जैसे हादसे इस बात का सबूत हैं कि जल्दबाज़ी में की गई रिपोर्टिंग कितनी घातक हो सकती है।
क्या कहा है रक्षा मंत्रालय ने?
एडवाइजरी में कहा गया है कि अब से मीडिया चैनलों, डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स और व्यक्तिगत पत्रकारों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों की लाइव कवरेज या रियल टाइम रिपोर्टिंग से बचना होगा। इसके अलावा, जानकारी केवल वही अधिकारी साझा करेंगे जिन्हें सरकार द्वारा नामित किया गया है।
यह निर्देश केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 की धारा 6(1)(p) के तहत दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर संबंधित चैनल या व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
क्या है इसका उद्देश्य?
इस एडवाइजरी का उद्देश्य केवल मीडिया पर अंकुश लगाना नहीं है, बल्कि यह एक सावधानीपूर्ण और ज़िम्मेदार पत्रकारिता को प्रोत्साहित करने की कोशिश है। जब किसी ऑपरेशन की लाइव कवरेज होती है, तो आतंकवादी या असामाजिक तत्व भी उसी फुटेज को देखकर रणनीति बना सकते हैं। इससे देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
बतौर रिपोर्टर क्या महसूस किया…
मैंने खुद 26/11 के दौरान टीवी स्क्रीन पर NSG कमांडो को होटल में प्रवेश करते देखा था। उस समय हम दर्शक के तौर पर रोमांचित थे, लेकिन आज जब उस स्थिति की गंभीरता को समझता हूं, तो लगता है कि उस लाइव फुटेज ने ऑपरेशन को कमजोर किया होगा।
कई जवानों की जानें दांव पर थीं। आज जब मंत्रालय ऐसी एडवाइजरी लाता है, तो यह सिर्फ एक ‘ऑफिशियल स्टेटमेंट’ नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है, जिसे हमें मिलकर निभाना होगा।
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, लेकिन जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो यह ज़रूरी है कि हर रिपोर्टर, हर चैनल यह समझे कि हर शब्द, हर फुटेज का असर पड़ता है। यह एडवाइजरी सिर्फ एक चेतावनी नहीं है, यह एक आह्वान है जिम्मेदारी का।
देशहित में यह फैसला स्वागत योग्य है। एक ज़िम्मेदार नागरिक और पत्रकार के तौर पर हमें यह समझना होगा कि तात्कालिक सनसनी से ज्यादा महत्वपूर्ण है, दीर्घकालिक सुरक्षा। और अगर इसके लिए हमें कुछ लाइव फुटेज छोड़ने पड़ें, तो यह सौदा देश के लिए सस्ता ही होगा।
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