Key Highlights (मुख्य बिंदु):
- मणिपुर पुलिस ने तीन जिलों में छापेमारी कर 9 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया।
- गिरफ्तार उग्रवादी विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े थे।
- बरामद हथियारों में देशी पिस्तौल, हथगोले और गोला-बारूद शामिल हैं।
- थौबल, इंफाल ईस्ट और बिष्णुपुर जिलों में सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई।
- राज्य में बढ़ती उग्रवाद की घटनाओं के बीच पुलिस की सक्रियता सराहनीय।
मणिपुर में 9 उग्रवादी गिरफ्त में, हथियारों का जखीरा बरामद
मणिपुर… एक ऐसा राज्य जो इन दिनों फिर से उग्रवाद की आग में झुलसता नजर आ रहा है। लेकिन बीते शुक्रवार को मणिपुर पुलिस और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी ने एक बार फिर उम्मीद की किरण जगाई है। इस बार सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है।यह जमीनी कार्रवाई की एक ऐसी तस्वीर है, जो बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों तो हालात कैसे बदले जा सकते हैं।
तीन अलग-अलग जिलों थौबल, इंफाल ईस्ट और बिष्णुपुर में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 9 उग्रवादियों को धर-दबोचा। ये सभी कुख्यात प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े थे, जो राज्य की शांति व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।
कहां-कहां से हुई गिरफ्तारी?
थौबल जिले में सबसे बड़ी सफलता मिली, जहां से कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (MFL) के चार और यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (पंबेई) के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। इंफाल ईस्ट से कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (नोयोन) का एक सदस्य, और बिष्णुपुर से KCP (PWG) का एक उग्रवादी पकड़ा गया।
क्या-क्या मिला उग्रवादियों के पास से?
इन उग्रवादियों के पास से जो सामान बरामद हुआ, वो किसी भी आम नागरिक को चिंतित कर सकता है।
- देशी पिस्तौल
- हथगोले
- भारी मात्रा में गोला-बारूद
इनसे यह साफ होता है कि ये संगठन सिर्फ विचारधारा के नाम पर नहीं, बल्कि हथियारों के दम पर राज्य में दहशत फैलाने की फिराक में थे।
सुरक्षा बलों की रणनीति कैसे बनी कामयाब?
सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ हफ्तों से राज्य पुलिस को इन संगठनों की गतिविधियों के बारे में इनपुट मिल रहे थे। गुप्त सूचना के आधार पर टीमों का गठन किया गया और फिर योजनाबद्ध तरीके से एक के बाद एक ऑपरेशन चलाए गए। यह कार्रवाई न सिर्फ पुलिस की चौकसी का उदाहरण है, बल्कि इस बात का भी संकेत है कि राज्य अब उग्रवाद के सामने झुकने को तैयार नहीं।
इंफाल और थौबल के कई निवासियों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। एक स्थानीय शिक्षक ने कहा, “हम कई सालों से डर के साए में जी रहे थे। यह पहली बार है जब हमें लग रहा है कि शायद शांति लौट सकती है।” यह दर्शाता है कि सुरक्षा बलों की ऐसी कार्रवाई न केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि आम नागरिकों के आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है।
क्या यह मणिपुर के लिए टर्निंग पॉइंट है?
बिलकुल। ऐसे समय में जब राज्य सामाजिक और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है, यह कार्रवाई मणिपुर के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। लेकिन यह भी जरूरी है कि यह सिर्फ शुरुआत हो। इन संगठनों की जड़ें गहरी हैं और इन्हें खत्म करने के लिए लगातार कार्रवाई और स्थानीय सहयोग जरूरी है।
यह गिरफ्तारी सिर्फ 9 लोगों की नहीं है, बल्कि यह मणिपुर की उस आवाज़ की जीत है जो शांति चाहती है, स्थिरता चाहती है। यह कार्रवाई हमें बताती है कि जब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करें, तो कोई भी उग्रवादी ताकत ज्यादा देर तक नहीं टिक सकती। अब जरूरत है इस गति को बनाए रखने की और आम लोगों को भरोसा देने की।
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