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पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में जम्मू और श्रीनगर बार एसोसिएशन का बंद, जानिए पूरा मामला

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22 अप्रैल को जब कश्मीर की खूबसूरत वादियों में पर्यटक गर्मी से राहत पाने पहुँचे थे, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह दिन इतना भयानक साबित होगा। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसारन वैली में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

हमले में अब तक की रिपोर्ट्स के अनुसार 28 लोगों की मौत हुई है और करीब 20 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। दो विदेशी नागरिक भी इस हमले की चपेट में आए, लेकिन वियतनामी दूतावास ने स्पष्ट किया है कि इनमें कोई वियतनामी शामिल नहीं है। भारतीय मीडिया और वियतनामी समुदाय ने इस जानकारी की पुष्टि की है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना को ‘नागरिकों पर हाल के वर्षों का सबसे बड़ा हमला’ करार दिया है, जिससे स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

न्यायिक समुदाय की प्रतिक्रिया एकजुटता का प्रदर्शन

इस हमले के बाद जम्मू और श्रीनगर की बार एसोसिएशनों ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया – 24 घंटे का न्यायिक बंद। अदालतों में कार्य नहीं होंगे, न वकील पेश होंगे और न ही कोई न्यायिक सुनवाई की जाएगी। यह निर्णय सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह न्यायिक समुदाय की सुरक्षा और शांति की अपील भी है।

जब समाज का बौद्धिक तबका – जिसमें वकील, शिक्षक और पत्रकार शामिल होते हैं – किसी मुद्दे पर संगठित होता है, तब यह सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं होती, यह एक चेतावनी होती है। वकीलों के इस कदम ने यह साफ कर दिया है कि आतंकी हमले अब सिर्फ सीमित क्षेत्रों तक नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक और सामाजिक ढांचे को प्रभावित कर रहे हैं।

एक स्थानीय वकील ने बताया – “ये हमला सिर्फ इंसानों पर नहीं, हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था और न्याय प्रणाली पर हमला है।”

विदेशी नागरिकों की सुरक्षा पर भी सवाल

वियतनामी दूतावास द्वारा दिए गए बयान के अनुसार कोई भी वियतनामी नागरिक हमले में नहीं मारा गया, लेकिन दो विदेशी नागरिक मारे गए हैं, जो एक बड़ा वैश्विक सवाल खड़ा करता है – क्या कश्मीर जैसे पर्यटन स्थलों में विदेशी सैलानियों की सुरक्षा पर्याप्त है?

जब कोई देश पर्यटकों को आमंत्रित करता है, तो उनकी सुरक्षा भी उसकी जिम्मेदारी होती है।

इस हमले ने हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद केवल सीमा रेखाओं का मुद्दा नहीं रहा, यह अब हमारे घरों, अदालतों और पर्यटन स्थलों तक पहुँच चुका है। बार एसोसिएशनों का यह बंद न सिर्फ विरोध का प्रतीक है, बल्कि यह हमें चेतावनी भी देता है कि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो आगे हालात और बिगड़ सकते हैं।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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