Key Highlights:
- बलुचिस्तान में पाकिस्तानी झंडों को हटाकर बेलुच झंडे फहराए जा रहे हैं।
- यह कदम स्वतंत्रता की ओर एक निर्णायक संकेत माना जा रहा है।
- बलुचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों और संसाधनों के शोषण के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बलुचिस्तान की स्थिति पर ध्यान देने की अपील की जा रही है।
बलुचिस्तान में स्वतंत्रता की लहर: झंडों का बदलता रंग और बदलती पहचान
बलुचिस्तान, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा और संसाधनों से भरपूर प्रांत है, आज एक नई पहचान की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में, वहां के लोगों ने पाकिस्तानी झंडों को हटाकर बेलुच झंडे फहराए हैं, जो एक स्वतंत्र राष्ट्र की आकांक्षा का प्रतीक है।
1947 में भारत के विभाजन के समय, बलुचिस्तान ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी। हालांकि, 1948 में इसे पाकिस्तान में मिला लिया गया। तब से, बलुचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध जारी है।
वर्तमान स्थिति
2025 में, बलुचिस्तान में विरोध की लहर तेज हो गई है। लोगों ने पाकिस्तानी झंडों को हटाकर बलुच झंडे फहराए हैं, जो उनकी स्वतंत्रता की आकांक्षा को दर्शाता है। इसके अलावा, मानवाधिकार उल्लंघनों, संसाधनों के शोषण और राजनीतिक दमन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
Baloch people have started hoisting their own flags and taking down Pakistani flags.
Time for the world to pull back their diplomatic missions from Pakistan and shift them into the newly emerging country of Balochistan.
Farewell to Pakistan, welcome to Balochistan.… pic.twitter.com/X5zD4syfta
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) May 8, 2025
बलुचिस्तान की स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित हो रहा है। मानवाधिकार संगठनों ने वहां के हालात पर चिंता जताई है और पाकिस्तान सरकार से सुधार की मांग की है।
बलुचिस्तान में झंडों का बदलता रंग वहां के लोगों की बदलती पहचान और स्वतंत्रता की आकांक्षा को दर्शाता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में यह आंदोलन किस दिशा में जाता है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस पर कैसे प्रतिक्रिया देता है।
यह भी पढ़े: बलूचिस्तान का तीसरी बार हमला: 14 पाकिस्तानी जवान मारे गए, सीनियर ऑफिसर भी शामिल