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बलूचिस्तान का तीसरी बार हमला: 14 पाकिस्तानी जवान मारे गए, सीनियर ऑफिसर भी शामिल

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Key Highlights (मुख्य बिंदु):

  • बलूचिस्तान में एक बार फिर हिंसा का बड़ा विस्फोट
  • पाकिस्तान आर्मी पर दोहरे हमले, BLA ने ली जिम्मेदारी
  • 14 पाकिस्तानी जवान मारे गए, एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल
  • हमले से पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर सवाल
  • बलूचिस्तान में बढ़ती उग्रवाद की गतिविधियां चिंताजनक

बलूचिस्तान में फिर भड़की हिंसा, BLA ने ली हमले की ज़िम्मेदारी

बलूचिस्तान से आने वाली खबरें एक बार फिर चिंताजनक हैं। मैं जब पहली बार बलूचिस्तान की धरती पर रिपोर्टिंग के लिए गया था, तब वहां की वीरानी में छिपे गुस्से को महसूस किया था। वो गुस्सा अब बार-बार हिंसा में बदलता दिख रहा है।
ताजा मामला इतना गंभीर है कि इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान आर्मी पर दो अलग-अलग हमलों को अंजाम दिया है। इस हमले में 14 जवानों की मौत हो गई है, जिनमें एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी शामिल है। यह हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि पाकिस्तान के भीतर एक गहरी दरार का संकेत है, जिसे लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा है।

हमले की पूरी कहानी: कैसे हुआ हमला?

बलूचिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों को दोहरे हमले की जानकारी मिली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पहला हमला उस वक्त हुआ जब पाकिस्तान आर्मी का एक काफिला गश्त पर था। अचानक BLA के लड़ाकों ने घात लगाकर हमला कर दिया।

दूसरा हमला उससे कुछ ही घंटे बाद पास के एक चेकपोस्ट पर किया गया। हमले की प्लानिंग इतनी सटीक थी कि सेना को संभलने का मौका नहीं मिला।

BLA की भूमिका और उद्देश्य

BLA यानी बलूच लिबरेशन आर्मी, पिछले दो दशकों से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रही है। उनका उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करना है।

बलूच नागरिक लंबे समय से सरकार द्वारा शोषण और सैन्य दमन की शिकायत करते आ रहे हैं। स्थानीय लोगों से बात करने पर ये साफ होता है कि उन्हें अपनी पहचान, संसाधन और हक की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

सरकारी सूत्रों ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि “बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा” और “हम जवाबी कार्रवाई करेंगे।” लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल बदले की कार्रवाई इस समस्या का समाधान है?

इससे पहले भी BLA कई बार सुरक्षा बलों को निशाना बना चुकी है। मगर हर बार पाकिस्तान सरकार केवल सुरक्षा बढ़ाने की बात करती है, जबकि ज़मीनी मुद्दे जस के तस बने रहते हैं।

अंतरराष्ट्रीय नजरिया: पाकिस्तान की छवि पर असर

बलूचिस्तान में हो रही हिंसा केवल पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति का मामला नहीं रह गया है। यह अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी छवि को प्रभावित कर रहा है। विदेशी निवेशक, खासकर चीन जो CPEC परियोजना में बड़ी भूमिका निभा रहा है, ऐसे हमलों से चिंतित हैं।

बलूचिस्तान की समस्या केवल सैन्य समाधान से नहीं सुलझेगी। ज़रूरत है संवाद की, विश्वास की बहाली की और उन कारणों को दूर करने की जिनकी वजह से वहां के नागरिक हथियार उठा रहे हैं।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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