मुख्य बिंदु:
- भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया।
- BBC की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के 10 परिजन और 4 करीबी सहयोगी मारे गए।
- मसूद अजहर ने इस कार्रवाई को ‘निर्मम’ बताया और कहा कि “अब कोई रहम की उम्मीद न करे”।
- यह हमला 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया, जिसमें 26 हिंदू पर्यटक मारे गए थे।
- पाकिस्तान ने इस हमले को ‘युद्ध की घोषणा’ बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी।
7 मई 2025 को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के 10 परिजन और 4 करीबी सहयोगी मारे गए। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, मसूद अजहर ने इस हमले को ‘निर्मम’ बताया और कहा कि “अब कोई रहम की उम्मीद न करे”।
यह हमला 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया, जिसमें 26 हिंदू पर्यटक मारे गए थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया था।
पाकिस्तान ने इस हमले को ‘युद्ध की घोषणा’ बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
इस कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गई हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हवाई हमलों और गोलीबारी का आरोप लगाया है। इससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद को उजागर कर दिया है। दोनों देशों के बीच शांति वार्ता की संभावनाएं अब और भी कम हो गई हैं।
इस स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को इस तनाव को कम करने के लिए पहल करनी चाहिए।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत की इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता को दर्शाया है। मसूद अजहर के 10 परिजनों की मौत ने आतंकवादी संगठनों को एक कड़ा संदेश दिया है। हालांकि, इस कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है। इस स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
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