भारत और दुनिया के संगीत प्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति के रूप में, विश्व-प्रसिद्ध तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली। उनके निधन का कारण इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis) नामक बीमारी से उत्पन्न जटिलताओं को बताया गया है।
उनके परिवार ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “ज़ाकिर हुसैन की अद्भुत विरासत लाखों संगीत प्रेमियों के दिलों में बसी रहेगी, और उनकी प्रभावशाली धुनें पीढ़ियों तक गूंजेंगी।”
ज़ाकिर हुसैन का स्वास्थ्य:
ज़ाकिर हुसैन पिछले कुछ हफ्तों से हृदय और रक्तचाप संबंधी समस्याओं के कारण सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे। उनके प्रबंधक निर्मला बच्छानी ने बताया कि उनकी हालत पिछले दिनों से लगातार गंभीर बनी हुई थी।
व्यक्तिगत जीवन और प्रारंभिक शिक्षा:
9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे ज़ाकिर हुसैन तबला वादक उस्ताद अल्ला रखा के पुत्र थे। बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाले ज़ाकिर को एक बाल-प्रतिभा के रूप में देखा गया। उन्होंने महज सात साल की उम्र में तबला बजाना शुरू किया और अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति 12 साल की उम्र में दी।
ज़ाकिर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल स्कूल, माहिम से और स्नातक की पढ़ाई सेंट जेवियर कॉलेज, मुंबई से की।
यादगार पल:
ज़ाकिर हुसैन ने एक बार अपने पहले प्रदर्शन की कहानी साझा की थी। “मैंने 12 साल की उम्र में पहली बार तबला बजाया और मुझे उस दिन केवल पाँच रुपए मिले। मैंने जिंदगी में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वे पाँच रुपए सबसे अनमोल थे।”
संगीत करियर:
ज़ाकिर हुसैन ने भारतीय और पश्चिमी संगीत का बेजोड़ संगम किया। उनकी सहयोगी परियोजनाओं में रवि शंकर, अली अकबर खान, यो-यो मा, जॉन मैकलॉघलिन, जॉर्ज हैरिसन, और मिकी हार्ट जैसे नाम शामिल हैं।
उन्होंने Shakti नामक बैंड की सह-स्थापना की, जिसने भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज का फ्यूज़न पेश किया। उनकी ऐतिहासिक परियोजनाओं में Tabla Beat Science, Planet Drum, और Global Drum Project शामिल हैं।
सिनेमा और विज्ञापन में योगदान:
ज़ाकिर हुसैन ने न केवल संगीत दिया बल्कि कई फिल्मों में अभिनय भी किया। वह “हीट एंड डस्ट”, “द परफेक्ट मर्डर”, और “साज़” जैसी फिल्मों में नजर आए।
1988 में, वह ताजमहल चाय के विज्ञापन का चेहरा बने। इस विज्ञापन ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया।
प्रमुख पुरस्कार और सम्मान:
ज़ाकिर हुसैन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। वह 2024 ग्रैमी अवॉर्ड्स में तीन श्रेणियों में विजेता बने। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह पहले भारतीय संगीतकार थे।
उनके पीछे छूटे परिवार:
ज़ाकिर हुसैन अपने पीछे पत्नी एंटोनिया मिनेकोला, बेटियां अनीसा और इसाबेला कुरैशी, और भाई-बहन तौफीक कुरैशी, फज़ल कुरैशी, और खुर्शीद औलिया को छोड़ गए।
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