Vodafone Idea का स्टॉक ₹2.5 या ₹15? AGR आदेश के बाद विशेषज्ञों की राय बंटी

Vodafone Idea stock ₹2.5 or ₹15? Experts divided after AGR order
Vodafone Idea stock ₹2.5 or ₹15? Experts divided after AGR order
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Vodafone Idea, जो कभी भारत की अग्रणी टेलीकॉम कंपनियों में गिनी जाती थी, आज एक बड़े वित्तीय संकट का सामना कर रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा AGR (Adjusted Gross Revenue) से संबंधित याचिकाओं को खारिज करने के बाद, Vodafone Idea के भविष्य को लेकर बाजार में असमंजस की स्थिति है। विशेषज्ञों की राय इस कंपनी के स्टॉक मूल्य पर स्पष्ट रूप से विभाजित है, कुछ इसे एक अच्छा निवेश अवसर मान रहे हैं जबकि अन्य इसे जोखिम भरा बता रहे हैं। इस लेख में, हम Vodafone Idea के मौजूदा वित्तीय हालात, AGR आदेश के प्रभाव, और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे।

AGR आदेश: क्या है पूरा मामला?

AGR (समायोजित सकल राजस्व) को लेकर भारत की टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था जिसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को अपनी गैर-टेलीकॉम आय पर भी शुल्क चुकाना होगा। इस आदेश के बाद से Vodafone Idea पर भारी वित्तीय दबाव है। कंपनी का कहना है कि उसका खुद द्वारा आंका गया AGR बकाया ₹21,533 करोड़ है, जबकि सरकार का अनुमान ₹58,300 करोड़ का है। अब तक कंपनी ने ₹7,900 करोड़ का भुगतान किया है।

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें वे 2019 के आदेश की समीक्षा चाहती थीं। इसका मतलब है कि Vodafone Idea को अब अपने बकाया भुगतान को लेकर कोई राहत नहीं मिलेगी, और कंपनी को अपने भारी कर्ज का सामना करना पड़ेगा।

Vodafone Idea की वित्तीय स्थिति

Vodafone Idea की मौजूदा वित्तीय स्थिति बहुत ही कमजोर मानी जा रही है। 2024-25 की पहली तिमाही के अंत तक कंपनी पर कुल ₹2.1 ट्रिलियन का बकाया था। इसमें AGR बकाया ₹70,300 करोड़ और स्पेक्ट्रम भुगतान के रूप में ₹1,39,200 करोड़ शामिल है। कंपनी को अगले कुछ वर्षों में सरकार को बड़ी मात्रा में भुगतान करना है: मार्च 2026 में ₹29,000 करोड़ और मार्च 2027 में ₹43,000 करोड़।

यह स्पष्ट है कि Vodafone Idea को अपने वित्तीय बोझ को कम करने के लिए या तो सरकार से सहायता की आवश्यकता होगी, जैसे कि कर्ज को इक्विटी में बदलना या भुगतान के लिए मोहलत बढ़ाना, या फिर उसे अपने टैरिफ में भारी वृद्धि करनी होगी।

क्या सरकार से मिलेगी मदद?

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर Vodafone Idea को इस संकट से उबरना है, तो उसे सरकार की मदद जरूरी होगी। एक विकल्प यह हो सकता है कि सरकार कंपनी के कर्ज को इक्विटी में बदल दे, जिससे कंपनी को भुगतान का दबाव कम होगा। Nomura के विश्लेषक हेमांग खन्ना का कहना है कि कंपनी अपने व्यवसाय को धीरे-धीरे सुधारने और भारतीय टेलीकॉम उद्योग में अपने हिस्से को बनाए रखने में सक्षम हो सकती है, बशर्ते उसे सरकार से समर्थन मिले।

वहीं, Macquarie के विश्लेषकों का मानना है कि अगर Vodafone Idea को AGR बकाया पर कोई छूट नहीं मिलती, तो कंपनी को अपने कर्जों का भुगतान करने में 25-30 साल लग सकते हैं। इसके लिए टैरिफ में 15% सालाना वृद्धि की जरूरत होगी, जो बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी को प्रभावित कर सकती है।

टैरिफ वृद्धि और बाजार हिस्सेदारी

हालांकि हाल के महीनों में टेलीकॉम उद्योग में टैरिफ वृद्धि हुई है, लेकिन इसका पूरा लाभ Vodafone Idea को नहीं मिल सका है। कंपनी का बाजार हिस्सा कम हो रहा है, और भारतीय बाजार में BSNL जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, 5G सेवाओं की सीमित उपलब्धता से भी कंपनी के ग्राहकों की संख्या पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि यदि कंपनी टैरिफ में और अधिक वृद्धि करती है, तो इससे उसकी औसत प्रति उपयोगकर्ता आय (ARPU) तो बढ़ सकती है, लेकिन ग्राहकों की संख्या में गिरावट का जोखिम भी है।

स्टॉक के प्रति विशेषज्ञों की राय बंटी

Vodafone Idea के स्टॉक के भविष्य को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है। एक तरफ Goldman Sachs जैसे ब्रोकरेज ने कंपनी के स्टॉक के लिए ₹2.5 का टार्गेट दिया है, और इसे ‘Sell’ रेटिंग दी है। उनका मानना है कि अगर सरकार से AGR बकाया पर कोई राहत नहीं मिलती, तो कंपनी के लिए वित्तीय स्थिरता बनाए रखना मुश्किल होगा।

दूसरी ओर, Nomura और UBS जैसे ब्रोकरेज ने कंपनी के स्टॉक को ‘Buy’ रेटिंग दी है, और ₹15 का टार्गेट रखा है। उनका कहना है कि AGR विवाद का समाधान हो जाने के बाद कंपनी के शेयरों में सुधार की संभावना है। Nomura का यह भी मानना है कि स्टॉक की मौजूदा गिरावट निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर हो सकती है।

Vodafone Idea के लिए रोडमैप

Vodafone Idea को यदि अपने कर्जों का भुगतान समय पर करना है, तो उसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:

  1. सरकारी सहायता: कंपनी को सरकार से कर्ज इक्विटी में बदलने या मोहलत की जरूरत होगी।
  2. टैरिफ में वृद्धि: विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी को टैरिफ में और वृद्धि करनी होगी, लेकिन इसके साथ ही बाजार हिस्सेदारी पर दबाव भी बढ़ सकता है।
  3. 5G सेवाओं का विस्तार: कंपनी को अपने 5G नेटवर्क का विस्तार करना होगा ताकि वह ग्राहकों की संख्या बनाए रख सके और नई सेवाओं से आय बढ़ा सके।
  4. निवेशकों का विश्वास: कंपनी को निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार करना होगा। Nomura के अनुसार, यदि कंपनी अपनी देनदारियों को इक्विटी में बदलने और आंशिक रूप से अपने Ebitda (आय) का उपयोग करके भुगतान करने में सक्षम होती है, तो वह 2027 तक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकती है।

Vodafone Idea के सामने चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं, लेकिन अगर कंपनी को सरकार से समर्थन मिलता है और वह अपने टैरिफ और सेवाओं में सुधार कर पाती है, तो उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। वर्तमान में, निवेशकों के लिए कंपनी का स्टॉक जोखिम भरा है, और विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कुछ इसे एक अच्छा निवेश अवसर मानते हैं, जबकि अन्य इसके गिरने की संभावना देखते हैं।

AGR विवाद के बाद, कंपनी के लिए रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन अगर रणनीतिक कदम उठाए जाते हैं, तो Vodafone Idea एक बार फिर से भारतीय टेलीकॉम बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।

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