श्रीरामरक्षास्तोत्रम् एक अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक संहिता है, जो भगवान श्रीराम की प्रशंसा करती है और उनके रक्षा की बात करती है। इसे पाठ करने से रोगनाशन, शत्रु नाशन, दुख नाशन, सुख समृद्धि और धन संपदा की प्राप्ति होती है। यह रामचरितमानस के संत तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया है और यह संहिता संतों और भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मन, वाक्, और कर्म में समता आती है और भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।
॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ॥ | Ram Raksha Stotra Hindi
विनियोग:
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः । श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः । श्रीमान हनुमान कीलकम । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।
रामरक्षा स्तोत्र को अधिकांशतः शुभ मुहूर्त में पढ़ना अच्छा माना जाता है। इसे सुबह उठकर या संध्या के समय पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इन समयों पर मन शांत और ध्यान लगाने की क्षमता अधिक होती है। यदि संभव हो तो रोज़ रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करना अच्छा होता है, इससे व्यक्ति को आत्मिक शक्ति मिलती है और उसकी मनोबल में सुधार होता है।
राम रक्षा स्त्रोत पढ़ने से क्या होता है?
रामरक्षा स्त्रोत का पठन कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है। यहां कुछ मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं:
रोग नाशन: रामरक्षा स्त्रोत का पठन रोगों को दूर करने में मदद कर सकता है और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में सहायक हो सकता है।
दुःख नाशन: इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाले दुःखों का समाधान हो सकता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिल सकती है।
शत्रु नाशन: रामरक्षा स्त्रोत का नियमित पठन करने से शत्रुओं का नाश हो सकता है और सुरक्षा की स्थिति में सुधार हो सकता है।
कष्ट नाशन: यह स्तोत्र कष्टों और संकटों को दूर करने में सहायक हो सकता है और जीवन में सुख-शांति की स्थिति का समर्थन कर सकता है।
आत्मिक उन्नति: रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करने से आत्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति का आत्मविश्वास मजबूत होता है।
धन संपदा: इस स्त्रोत का पाठ करने से धन संपदा की प्राप्ति में सहायता मिल सकती है और वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है।
इन लाभों के अलावा भक्ति और आत्मशुद्धि में भी इस स्त्रोत का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
रामरक्षा स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:
ध्यान: पहले तो ध्यान लगाएं और मन को शांत करें। स्तोत्र के मार्गदर्शन में श्री राम को मन में स्थापित करें।
आवाहन: फिर रामरक्षा स्त्रोत के आवाहन के लिए इस मन्त्र को पढ़ें, “अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः।”
प्रारंभ: फिर स्तोत्र के प्रारंभ के लिए अपनी आवज़ में शुद्धता के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
समाप्ति: स्तोत्र के पाठ के बाद श्री राम की आराधना करें और आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करें।
ध्यान दें कि स्तोत्र का पाठ करते समय शुद्धता, आदर और श्रद्धांजलि के साथ करना चाहिए। इससे स्तोत्र के लाभों को अधिक समर्थन मिल सकता है।