लेबनान में हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने रविवार को अपने चुनावी अभियान को स्थगित करने की घोषणा की। महबूबा ने यह कदम लेबनान और फ़लस्तीन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए उठाया, जब इज़राइली हवाई हमले में नसरल्लाह की मौत हो गई। जम्मू और कश्मीर में जारी विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने अपने अगले दिन के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए।
घटना की पृष्ठभूमि
हसन नसरल्लाह, जो हिज़बुल्लाह के महासचिव थे, उनकी मौत इज़राइली सेना द्वारा किए गए हवाई हमले में हुई। यह हमला बेरूत के दक्षिणी इलाके में स्थित हिज़बुल्लाह के मुख्यालय पर हुआ, जिसमें नसरल्लाह और उनकी बेटी ज़ैनब समेत कई अन्य नेता मारे गए। इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह हमला हिज़बुल्लाह के नेतृत्व की बैठक के दौरान किया गया था, जहाँ समूह के आतंकवादी गतिविधियों का समन्वय हो रहा था। इस हमले में नसरल्लाह के साथ-साथ हिज़बुल्लाह के अन्य प्रमुख सदस्यों की भी मौत हो गई।
महबूबा मुफ़्ती का बयान
महबूबा मुफ़्ती, जो जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री हैं, ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कहा, “लेबनान और गाज़ा के शहीदों, विशेषकर हसन नसरल्लाह के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए मैं अपना चुनाव अभियान रद्द कर रही हूँ। हम फ़लस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ इस दुख की घड़ी में खड़े हैं।” महबूबा मुफ़्ती ने इस घटना को लेकर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की और बताया कि यह फ़लस्तीन और लेबनान के लोगों के लिए एक बड़ी क्षति है।
जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन
हसन नसरल्लाह की मौत की ख़बर फैलते ही जम्मू और कश्मीर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। श्रीनगर और बडगाम में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने नसरल्लाह के चित्र लेकर इज़राइल के खिलाफ नारेबाजी की। इस घटना ने कश्मीर के शिया समुदाय में भी गुस्सा भड़का दिया। अखिल भारतीय शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने नसरल्लाह की मौत को मुस्लिम समुदाय के लिए एक बड़ी हानि बताया और तीन दिन के शोक की अपील की।
राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रिया
महबूबा मुफ़्ती का यह कदम कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ की तरह देखा जा रहा है, जहां हिज़बुल्लाह और फ़लस्तीन के मुद्दे पर संवेदनशीलता अधिक है। इस बीच, कई धार्मिक नेताओं ने भी नसरल्लाह की मौत पर शोक व्यक्त किया और इसे ‘इस्लामी दुनिया के लिए एक बड़ा झटका’ कहा। कई शिया समुदायों ने इज़राइल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की अपील की।
महबूबा मुफ़्ती द्वारा चुनावी अभियान स्थगित करने का यह निर्णय न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं से भी महत्वपूर्ण है। कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस प्रकार की वैश्विक घटनाओं का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। फ़लस्तीन और लेबनान के प्रति एकजुटता दिखाना महबूबा के राजनीतिक संदेश का हिस्सा है, जो उन्हें अपने समर्थकों के बीच और भी मज़बूत स्थिति में ला सकता है।
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