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Bihar SIR Final List 2025: 1 सितंबर तक दाखिल दावे ही होंगे मान्य, चुनाव आयोग ने दी जानकारी

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बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि नाम जुड़वाने से ज्यादा हटवाने के लिए आवेदन आ रहे हैं। वहीं आगे यह भी कहा कि, उनका जवाब सुनकर सुप्रीम कोर्ट के जज चौंक गए और उन्होंने पूछा कि राजनीतिक दल नाम हटवाने का आवेदन क्यों दे रहे हैं।

SIR को लेकर प्रशांत भूषण ने क्या कहा

सोमवार (1 सितंबर, 2025) को सुनवाई में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर कहा कि ड्राफ्ट लिस्ट में छूटे लोगों के लिए आपत्ति दर्ज करवाने के लिए समय बढ़ा दिया गया है। और इसी के साथ आधार को अपर्याप्त बताकर दावा खारिज न किया जाए। याचिकाकर्ताओं की इस मांग पर चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि समय-सीमा बढ़ाने से चुनावी प्रक्रिया में देरी होगी।

राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘राजनीतिक दल नाम जुड़वाने से ज्यादा हटवाने के आवेदन दे रहे हैं। यह साबित करता है कि हमारी प्रक्रिया सही है.’ इसी के साथ उन्होंन कोर्ट को यह बताया कि मृत्यु होने जैसी कई बातों को मुद्दा बनाया जा रहा है। वहीं बहुत से लोगों का यह कहना है कि, उनका नाम कहीं और वोटर लिस्ट में है इसलिए, यहां से हटा दिया जाए। इस पर कोर्ट ने पूछा कि राजनीतिक दल नाम हटाने का आवेदन क्यों दे रहे हैं।

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मामले को लेकर राकेश द्विवेदी ने यह कहा कि, हम यह साफ करना चाहते हैं कि एक सितंबर के बाद भी लोगों को आपत्ति/दावा दाखिल करने से नहीं रोका जा रहा है, लेकिन इन दावों पर SIR फाइनल लिस्ट के प्रकाशन के बाद सोचा जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के लिए उम्मीदवारों की ओर से नामांकन दाखिल होने के दिन तक वोटर लिस्ट में लोगों के नाम जुड़ सकते हैं। ऐसा नहीं कि वह मतदान से वंचित हो गए हैं। जस्टिस सूर्य कांत ने इस पर कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है। वे आपत्ति दर्ज करना जारी रख सकते है।

नाम जुड़वाने के सिर्फ 100-120 आवेदन

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर कहा कि, हम इस बात से बिल्कुल हैरान हैं कि, राजनीतिक पार्टियों ने नाम जुड़वाने के सिर्फ 100-120 आवेदन ही दिए हैं। वहीं दूसरी तरफ राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को लेकर यह भी बताया कि वोटर खुद प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं।

हालांकि, एक एनजीओ का यह कहना है कि, लोगों को बाढ़ से दिक्कत हो रही है। जिसपर उन्होंने कहा, ‘यहां ऐसा NGO (ADR) खड़ा है जिसका बिहार से कोई संबंध नहीं और वह दावा कर रहा है कि बाढ़ की वजह से लोगों को दिक्कत हो रही है, लेकिन लोगों को कोई दिक्कत नहीं है।वह प्रक्रिया में आगे बढ़ कर भागीदारी कर रहे हैं।’

प्रशांत भूषण ने मामले को लेकर कहा कि, लोगों के फॉर्म में क्या दिक्कत है, इसके लिए उन्हें सूचित किया जाना चाहिए। इस पर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘हम लोगों को नोटिस भेज कर जानकारी दे रहे हैं कि उनके दस्तावेज में क्या कमी है।’ आधार कार्ड को दस्तावेजों में शामिल किए जाने की याचिकाकर्ताओं की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को जितना दर्जा कानून में दिया गया है, उससे ज्यादा नहीं बढ़ सकता है। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि हम भी उतना ही दर्जा मांग रहे हैं।

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Priti Yadav

प्रीति यादव 2023 से मीडिया क्षेत्र में सक्रिय हैं और कंटेंट राइटिंग में निरंतर काम कर रही हैं। कंटेंट क्रिएशन के साथ-साथ इनके पास डिजिटल मीडिया का अच्छा अनुभव है, जिसकी वजह से ये ट्रेंड्स और रीडर्स की जरूरतों को बेहतर समझती हैं। प्रीति सभी बीट्स पर आर्टिकल कवर करती हैं, लेकिन इनकी खास रुचि Technology, Education और Government Schemes से जुड़ी खबरों और कंटेंट में है। इनके लेखन की खासियत है सरल भाषा, जानकारीपूर्ण शैली और SEO फ्रेंडली कंटेंट, जिससे पाठक जुड़ाव महसूस करते हैं।

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