हाल में एक मामला सामने आया है जहा लोगों ने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग में मृत लोग मतदाता सूची में क्यो उपस्थित रहते है। क्या चुनाव आयोग में मृत व्यक्तियों की मतदाता सूची में अनुमती है।
इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट रूप से जवाब दिया है और कहा हैं कि चुनाव आयोग जानबूझकर मृत लोगों के मतदाता सूची में रहने देने अनुमति नहीं देता है. इसका यह है कि उनके परिवार अपने परिजनों की मृत्यु की सूचना चुनावी अधिकारियों को देने में असमर्थ रहते हैं इसलिए सूचनाओं के अभाव के कारण मृत व्यक्तियों के नाम चुनाव आयोग सूची में दिखाई देते हैं
अब फर्जी मतदाता और धोखाधड़ी की शिकायत जादा बनती जा रहीं हैं
आखिर हम इसको कैसे रोक सकते है ?
अब हमको चुनाव आयोग मतदाता सूचियां की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए सख्त रूप से काम करना होगा।
अब हम मृत्यु का रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से राज्य सरकार और स्थानीय कर्मचारियों का सहयोग ले रहे है लेकिन कहीं ना कहीं जमीनी स्तरो का डाटा साझा करने के लिए उचित दस्तावेज की कमी के कारण अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है इस चुनौती से निपटने के लिए हमें मुख्य चुनाव आयुक्त के आधार पर जन्म मृत्यु registry, मतदाता सूची और डिजिटल database की बहुत आवश्यक है
मुख्य चुनाव आयुक्त ने नागरिकों को अपील की है कि अपने परिवार की सदस्यों की मृत्यु की सूचना और डाटा को शुद्ध करने की कोसिस करे
निष्कर्ष:
मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ तौर से कह दिया है मृत लोगों को मतदाता सूची में शामिल करना कोई जानबूझकर किया गया काम नहीं है ब्लकि प्रशासनिक और सामाजिक लापरवाही का नतीज़ा है






