संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 79वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाते हुए भारत पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने अपने 20 मिनट के भाषण में कहा कि भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने से शांति स्थापित नहीं हो सकती, और इसके उलट, भारत को इसे फिर से बहाल करने के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए। शरीफ ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में कथित “दमन और अत्याचार” के कारण अलगाववादी हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी को शहीद के रूप में देखा जाता है और उनका संघर्ष कश्मीरी लोगों को प्रेरित करता है।
कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से
शरीफ ने कश्मीर की स्थिति की तुलना फिलिस्तीन के संघर्ष से करते हुए कहा कि दोनों स्थानों के लोग अपनी स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की अपनी प्रतिबद्धताओं से मुंह मोड़ लिया है। उनके अनुसार, जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए यह अनिवार्य है कि भारत अगस्त 2019 में लिए गए एकतरफा फैसले (अनुच्छेद 370 के खात्मे) को वापस ले।
भारत में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों पर आरोप
शाहबाज शरीफ ने अपने भाषण में भारत में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के प्रति हिंसा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में ‘हिंदू वर्चस्ववादी एजेंडा’ तेजी से फैल रहा है, जिसके तहत 200 मिलियन भारतीय मुसलमानों को दबाया जा रहा है और भारत की इस्लामी विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है। शरीफ ने यह भी कहा कि इस्लामोफोबिया वैश्विक स्तर पर एक बढ़ती हुई समस्या है, और इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर काम करना चाहिए।
भारत का जवाब और एस जयशंकर की प्रतिक्रिया
शाहबाज शरीफ के आरोपों के बाद भारत की तरफ से कड़ा विरोध दर्ज किए जाने की उम्मीद है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले भी पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कश्मीर मुद्दे को “असत्य और दुर्भावनापूर्ण” करार दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि भारत पर बेबुनियादी आरोप लगाना। जयशंकर के संबोधन में इन आरोपों पर भारत का औपचारिक जवाब देने की संभावना है।
अनुच्छेद 370 पर भारत का पक्ष
भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करना एक आंतरिक मामला है और यह भारत के संविधान के तहत लिया गया निर्णय है। 5 अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करते हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, लेकिन भारत ने बार-बार दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग हैं।
पाकिस्तान को मिला वैश्विक समर्थन?
शाहबाज शरीफ ने भले ही यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया हो, लेकिन उन्हें वैश्विक समर्थन मिलने के आसार कम दिखते हैं। पाकिस्तान लगातार कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है, लेकिन ज्यादातर देशों ने इसे भारत का आंतरिक मामला माना है और किसी भी तरह के हस्तक्षेप से बचते रहे हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान की आंतरिक आर्थिक और राजनीतिक समस्याएं भी उसकी स्थिति को कमजोर करती हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के दौरान कश्मीर और भारत के मुसलमानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को हमेशा की तरह खारिज किया है और जम्मू-कश्मीर को अपनी संप्रभुता का हिस्सा बताया है। आने वाले दिनों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर का संबोधन इस मुद्दे पर भारत की ठोस प्रतिक्रिया को सामने लाएगा।
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