संयुक्त राष्ट्र में भारत की तीखी प्रतिक्रिया: पाकिस्तान पर आतंकवाद के परिणाम

India's strong response at the UN: Consequences of terrorism on Pakistan
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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में 2024 में भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कश्मीर पर की गई टिप्पणी पर अपनी ‘राइट ऑफ रिप्लाई’ (RoR) का प्रयोग करते हुए तीखा और दृढ़ प्रतिरोध जताया। पाकिस्तान ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाते हुए भारत पर अवैध कार्रवाई का आरोप लगाया और अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की। इसके जवाब में भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान के दोहरे मापदंड और आतंकवाद को प्रायोजित करने की नीति पर कड़ा वार किया।

पाकिस्तान के पीएम की टिप्पणियां

शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द करना अवैध था और इसे वापस लेना ही क्षेत्र में शांति लाने का एकमात्र तरीका है। उन्होंने भारत पर सैन्य शक्ति बढ़ाने और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाने का भी आरोप लगाया। शरीफ ने हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी को कश्मीरी “नायक” के रूप में प्रस्तुत किया और भारत पर कश्मीर में अत्याचार करने का आरोप लगाया।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

भारत ने शरीफ के इन दावों को ‘दोहरे मापदंड की पराकाष्ठा’ बताया और पाकिस्तान के आतंकवाद को हथियार के रूप में उपयोग करने के लंबे इतिहास की ओर इशारा किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव, भाविका मंगलानंदन ने इस संदर्भ में कहा, “पाकिस्तान ने आतंकवाद का उपयोग करके न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में हिंसा को बढ़ावा दिया है। उसने हमारी संसद, वित्तीय राजधानी मुंबई, धार्मिक यात्राओं के मार्ग और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों को निशाना बनाया है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान का हिंसा पर भाषण देना पूरी तरह से पाखंड है।”

भारत ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और वहां के चुनावों को पाकिस्तान ने लंबे समय से आतंकवाद के जरिये बाधित करने की कोशिश की है। मंगलानंदन ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो सकता और पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि भारत के खिलाफ आतंकवाद की गतिविधियों का प्रत्यक्ष परिणाम अवश्य होगा।

आतंकवाद और असहिष्णुता पर पाकिस्तान का इतिहास

भारत ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड की भी आलोचना की। पाकिस्तान, जो कि 1971 के नरसंहार का दोषी है और जिसने अपने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए हैं, उस पर असहिष्णुता और धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। मंगलानंदन ने कहा, “यह वही देश है जिसने ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी को शरण दी और जिसके उंगलियों के निशान दुनिया भर में कई आतंकवादी घटनाओं में मिले हैं।”

अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान के झूठे दावों के पीछे छिपी वास्तविकता को समझने का आह्वान किया और कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ का भाषण पूरी तरह से अस्वीकार्य है। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद का समर्थन उसके विकास और स्थिरता के लिए सबसे बड़ी बाधा है।

भारत की इस तीखी प्रतिक्रिया ने यह संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति स्पष्ट और दृढ़ है। पाकिस्तान द्वारा किसी भी आक्रामकता या आतंकवाद का उत्तर कड़े परिणामों के रूप में मिलेगा।

नतीजों की अनिवार्यता

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों का अनिवार्य रूप से नकारात्मक परिणाम होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का मुद्दा विवादास्पद बना हुआ है, लेकिन भारत ने हर बार यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है, और आतंकवाद के साथ कोई समझौता संभव नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की इस मजबूत और साहसिक प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान के आतंकवाद प्रायोजक होने के इतिहास को एक बार फिर से विश्व पटल पर उजागर किया है। यह भारत की दृढ़ता को दर्शाता है कि वह अपने खिलाफ किसी भी प्रकार के आतंकवादी प्रयासों को सहन नहीं करेगा। पाकिस्तान को अब यह समझने की जरूरत है कि भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने की उसकी नीतियों के गंभीर परिणाम होंगे।

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Team K.H.
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