अमेरिका में भारतीय प्रवासी समुदाय अपने छोटे लेकिन प्रभावशाली आकार के साथ तेजी से ध्यान आकर्षित कर रहा है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की रिपब्लिकन ग्रैंड ओल्ड पार्टी (GOP) के खिलाफ राष्ट्रपति पद की दौड़ में भागीदारी ने इस समुदाय को और अधिक सुर्खियों में ला दिया है। कमला हैरिस की मां, श्यामला गोपालन, भारतीय प्रवासी की उस प्रेरणादायक भावना का प्रतीक हैं, जो अमेरिका में सफलता की कहानी का आधार बनी है। श्यामला ने 1950 के दशक के अंत में अमेरिका आने का साहसिक कदम उठाया, और उनके इस साहस ने उनकी बेटी को एक ऐसा नेता बनने के लिए प्रेरित किया, जो आज भारतीय-अमेरिकी समुदाय के योगदानों की गवाही देती हैं।
राजनीति में बढ़ता योगदान
आज भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य अमेरिका के विभिन्न शीर्ष सार्वजनिक सेवाओं में तेजी से नामांकित हो रहे हैं। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, यह समुदाय कुल अमेरिकी आबादी का केवल 1.5% हिस्सा है, लेकिन फिर भी वे कुल वरिष्ठ सार्वजनिक सेवा पदों का 4.4% से अधिक हिस्सा संभालते हैं। यह अनुपात यह दर्शाता है कि भारतीय-अमेरिकियों का राजनीतिक और प्रशासनिक योगदान किस हद तक बढ़ रहा है।
आर्थिक विकास और तकनीकी क्षेत्र में भारतीयों का योगदान
भारतीय प्रवासियों ने अमेरिका के आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनुमान है कि वे प्रतिवर्ष अमेरिकी संघीय कोषागार में लगभग $300 बिलियन का कर राजस्व योगदान करते हैं। इसके अलावा, फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से 16 वर्तमान में भारतीय मूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों द्वारा संचालित हैं, जो दुनिया भर में 2.5 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं और लगभग $978 बिलियन का राजस्व उत्पन्न करते हैं।
भारतीय प्रवासी केवल सीईओ के रूप में ही नहीं बल्कि यूनिकॉर्न स्टार्टअप के संस्थापकों के रूप में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में कुल 648 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स में से 72 भारतीय मूल के संस्थापकों द्वारा संचालित हैं, जो 55,000 से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। उदाहरण के लिए, Rippling और Lacework जैसी स्टार्टअप्स ने तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान बनाया है।
शिक्षा और कॉर्पोरेट सफलता की कहानी
भारत से अमेरिका जाने वाले छात्र भी भारतीय प्रवासियों की सफलता की कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनुमानित 25% अंतर्राष्ट्रीय छात्र अमेरिका में भारतीय होते हैं, जो वहां की विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर अपने विशेष दृष्टिकोण और शैक्षिक उत्कृष्टता का परिचय देते हैं। यह तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि भारतीय छात्र, जिन्होंने अमेरिका में अपनी शिक्षा पूरी की है, अक्सर वापस भारत आकर यहां के कॉर्पोरेट क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
सत्य नडेला की कहानी इसका एक आदर्श उदाहरण है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ के रूप में उन्होंने क्लाउड कंप्यूटिंग और एआई के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, साथ ही एक और अधिक सहयोगात्मक और नवाचारी कंपनी संस्कृति को भी बढ़ावा दिया।
सांस्कृतिक प्रभाव
भारतीय प्रवासी का सांस्कृतिक प्रभाव भी काफी व्यापक है। अनुमान है कि अमेरिका में 60% से अधिक होटल भारतीय प्रवासियों द्वारा संचालित हैं, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $700 बिलियन से अधिक का योगदान करते हैं और चार मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। इसके अलावा, भारतीय व्यंजनों का स्वाद अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में फैल चुका है, जिससे भारतीय रेस्तरां की चेन तेजी से बढ़ी है।
इसके अलावा, क्रिकेट जैसे खेलों में भी भारतीय प्रवासी ने अमेरिका में अपनी छाप छोड़ी है। क्रिकेट को अब 2028 के ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है, जो लॉस एंजिल्स में आयोजित होंगे।
भारत-अमेरिका के बीच आपसी विकास का मार्ग
भारत और अमेरिका के बीच का संबंध व्यापार और निवेश में भी महत्वपूर्ण है। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में $40 बिलियन का निवेश किया है, जिससे 426,000 नौकरियां उत्पन्न हुई हैं। इसके साथ ही, अमेरिका से भारत को भेजे जाने वाले पैसे की मात्रा $26 बिलियन तक पहुंच गई है, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को संतुलित करने और नवाचार एवं विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारतीय प्रवासी का अमेरिका में यह योगदान न केवल वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत बना रहा है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच के संबंधों को भी और गहरा कर रहा है।
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