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क्यों भगवान गणेश पहले पूजनीय हैं? जानें उनकी बुद्धिमानी की कहानी

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भगवान गणेश का नाम हर शुभ कार्य या उद्घाटन से पहले लिया जाता है, खासकर गृह प्रवेश के समय। हिंदू धर्म में 36 करोड़ देवी-देवताओं की उपस्थिति के बावजूद, भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश को सबसे पहले क्यों पूजा जाता है? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी है।

गणेश की परिक्रमा और उनकी बुद्धिमानी

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवी-देवताओं ने अपने-अपने वाहनों की शक्ति की परीक्षा लेने की इच्छा जताई। भगवान गणेश इस परीक्षा को लेकर चिंतित थे, क्योंकि यह परीक्षा पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने की थी और उनका वाहन एक चूहा था। चूहे से यह अपेक्षा करना कि वह अन्य तेज और कुशल वाहनों को पार कर सके, एक असंभव कल्पना थी।

लेकिन छोटे गणपति ने इस प्रतियोगिता में अपनी चतुराई दिखाई। जब दौड़ शुरू हुई, तो गणपति ने अपने माता-पिता भगवान शिव और पार्वती की परिक्रमा जल्दी पूरी कर ली और खुद को दौड़ का विजेता घोषित किया। गणपति ने कहा कि माता-पिता बच्चे के लिए ब्रह्मांड के समकक्ष होते हैं और सभी तीर्थयात्राएं उनमें मौजूद होती हैं। उनके इस कथन ने सभी देवी-देवताओं को प्रभावित किया और गणेश का नाम आद्य पूजन के लिए अनुशंसित किया गया, यानी किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले गणेश की पूजा की जाएगी, यहां तक कि उनके माता-पिता शिव और पार्वती से भी पहले।

विघ्नहर्ता के रूप में गणेश

गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। जब गणेश की पूजा की जाती है, तो वे अपनी बुद्धिमानी से सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इस प्रकार, भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना सफलता और समृद्धि सुनिश्चित करती है। यह कहानी न केवल गणेश की बुद्धिमानी को साबित करती है, बल्कि उनके माता-पिता के प्रति उनकी भक्ति को भी दर्शाती है।

महाभारत के लेखक के रूप में गणेश

जब वेद व्यास महाभारत को अपनी वाणी के अनुसार लिखवाने के लिए किसी को ढूंढ रहे थे, तो भगवान ब्रह्मा ने गणपति को अनुशंसित किया। बाद में वेद व्यास ने महाभारत का उच्चारण किया और गणेश इसके लेखक बने। हालांकि वेद व्यास ने गणेश को एक शर्त पर यह लेखन कार्य सौंपा। गणेश को तब तक वेद व्यास को रुकने नहीं देना था जब तक कि वे पूरा लेखन कार्य पूरा न कर लें। ऐसा माना जाता है कि आर्य साहित्य के इतिहास में, लेखन की परंपरा की शुरुआत गणेश द्वारा की गई थी।

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Laxman Mishra

पंडित लक्ष्मण मिश्रा एक अनुभवी ज्योतिषाचार्य हैं, जो वैदिक ज्योतिष, कुंडली विश्लेषण, विवाह योग, धन योग और वास्तु शास्त्र में विशेषज्ञता रखते हैं। उनकी सटीक भविष्यवाणियाँ और उपाय अनगिनत लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला चुके हैं। वे ज्योतिष को तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर, लोगों को सही मार्गदर्शन प्रदान करने में विश्वास रखते हैं। अगर आप अपने जीवन से जुड़ी किसी समस्या का समाधान चाहते हैं, तो पंडित लक्ष्मण मिश्रा से परामर्श अवश्य लें।

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