संपूर्ण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा | Putrada Ekadashi Vrat Katha

Putrada Ekadashi vrat katha
Complete Putrada Ekadashi Fasting Story
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पुत्रदा एकादशी की कथा प्राचीन समय के राजा सुकेतुमान और रानी शैब्या की है, जो पुत्रहीन थे और इस कारण अत्यंत चिंतित रहते थे। राजा सुकेतुमान और रानी के पास सब कुछ था—धन-वैभव, सेवक, राज्य—लेकिन उनके जीवन में संतान का अभाव था, जिससे वे मानसिक और भावनात्मक रूप से पीड़ित थे। वे दोनों इस चिंता में रहते थे कि उनके वंश को आगे कौन बढ़ाएगा, और उनकी मृत्यु के बाद श्राद्ध कर्म कौन करेगा।

पुत्रदा एकादशी की कथा का प्रारंभ | Putrada Ekadashi Vrat Katha 

राजा सुकेतुमान, संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत दुखी होकर, एक दिन वन में चले गए। वन में भटकते हुए, उन्होंने विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों और प्राकृतिक दृश्यों को देखा, लेकिन उनका मन शांत नहीं हुआ। इसी व्याकुलता में राजा एक पवित्र सरोवर के पास पहुंचे, जहाँ ऋषि-मुनियों का एक आश्रम स्थित था। वहाँ ऋषि-मुनि पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहे थे और भगवान विष्णु की आराधना में लीन थे​।

राजा की समस्या और समाधान

राजा ने ऋषियों के चरणों में जाकर उन्हें प्रणाम किया और अपने जीवन की समस्या उन्हें बताई। ऋषियों ने राजा से कहा कि वे पुत्रदा एकादशी का व्रत करें। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। ऋषियों ने समझाया कि पुत्रदा एकादशी का अर्थ ही है “पुत्र प्रदान करने वाली एकादशी।” यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं​।

व्रत और आशीर्वाद

राजा सुकेतुमान ने ऋषियों के निर्देशों का पालन करते हुए पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की। व्रत के प्रभाव से, कुछ समय बाद उनकी पत्नी रानी शैब्या गर्भवती हुईं और उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। वह पुत्र बड़ा होकर राज्य का उत्तराधिकारी बना और राजा सुकेतुमान का वंश आगे बढ़ा​।

कथा का महत्व

इस व्रत की कथा यह बताती है कि जो भी व्यक्ति पुत्र प्राप्ति की कामना करता है, उसे इस व्रत को विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी का व्रत न केवल संतान प्राप्ति के लिए लाभकारी है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और पापों से मुक्ति भी प्रदान करता है। इस कथा के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति और विश्वास से जीवन की सभी कठिनाइयों का समाधान संभव है​।

यह कथा दर्शाती है कि जब कोई व्यक्ति जीवन में अपने संकल्प और भक्ति के साथ एकादशी का व्रत करता है, तो भगवान विष्णु की कृपा से उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

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