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ओडिशा में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन, पीएम मोदी बोले- ‘दुनिया आज भारत को सुनती है’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ओडिशा में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति और वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव पर जोर दिया। पीएम मोदी ने उद्घाटन समारोह में कहा, “दुनिया आज भारत को सुनती है। भारत केवल अपनी बात नहीं रखता, बल्कि वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ भी उठाता है।”

भारत की आर्थिक प्रगति

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में सफलता हासिल की है। इसके साथ ही भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है।

उन्होंने कहा, “भारत आज युवाओं के कौशल और प्रतिभा का देश है। हम केवल लोकतंत्र की जननी नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र हमारे जीवन का हिस्सा है। भारत के कौशल और आर्थिक विकास को आज पूरी दुनिया देख रही है।”

प्रवासी भारतीय दिवस 2025 की मुख्य बातें

  • यह कार्यक्रम 8 जनवरी से 10 जनवरी तक ओडिशा में आयोजित हो रहा है।
  • इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और ओडिशा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
  • इस वर्ष का थीम है: ‘विकसित भारत में प्रवासी समुदाय का योगदान’

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चार प्रदर्शनियों और केंद्र व राज्य मंत्रालयों के प्रमोशनल स्टॉल्स का उद्घाटन और दौरा भी किया।

महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए महात्मा गांधी को याद किया। उन्होंने कहा, “1915 में इसी दिन महात्मा गांधी विदेश में रहने के बाद भारत लौटे थे। यह दिन हमें उनके विचारों को आत्मसात करने और देश की सेवा में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।”

आगामी त्योहारों का उल्लेख

प्रधानमंत्री ने आने वाले त्योहारों जैसे प्रयागराज में महाकुंभ, मकर संक्रांति और माघ बिहू का जिक्र करते हुए देश में फैले खुशी और उत्साह के माहौल पर भी प्रकाश डाला।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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