Key Highlights:
- सज्जिद जट्ट उर्फ सैफुल्लाह, लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ कमांडर है
- TRF नामक प्रॉक्सी ग्रुप का संचालन कर रहा है
- पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली थी
- ISI की मदद से पाकिस्तान के इस्लामाबाद में सक्रिय है
- अमरनाथ यात्रा, रियासी बस हमला समेत कई हमलों से जुड़ाव
- भारत में ड्रोन के जरिए हथियार और नशा भेजने का नेटवर्क
- एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में नाम, 10 लाख का इनाम
सज्जिद जट्ट—एक छिपा चेहरा, जो कश्मीर में आतंक की आग भड़का रहा है
जब 26 लोगों की जान गई, तब देश सहम गया। वह दृश्य अब भी लोगों की आंखों के सामने ताजा है, जब पहलगाम की वादियों में आतंक का साया गूंजा। अब जो जानकारी सामने आई है, वह हैरान करने वाली है—इस हमले की कमान एक ऐसा आतंकी चला रहा है जो पाकिस्तान के इस्लामाबाद में बैठा है और ISI की छत्रछाया में भारत में खून-खराबा फैला रहा है। उसका नाम है सज्जिद जट्ट, उर्फ सैफुल्लाह।
TRF की स्वीकारोक्ति और जट्ट का नेतृत्व
इंटेलिजेंस इनपुट्स के अनुसार, सज्जिद जट्ट फिलहाल लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी ग्रुप TRF का संचालन कर रहा है। इसी समूह ने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 निर्दोषों की जान गई थी। TRF की स्थापना 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुई थी, जिसका मकसद आतंकी गतिविधियों को घरेलू ‘लोकल मूवमेंट’ की शक्ल देना था।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि TRF की सोशल मीडिया रणनीति दक्षिण कश्मीर में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने पर केंद्रित है। टेलीग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर प्रचार सामग्री फैलाई जाती है और युवाओं को बहकाया जाता है। जट्ट का करीबी सहयोगी कासिम, इन गतिविधियों में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
पाकिस्तान का सीधा हाथ
सज्जिद जट्ट को ISI और लश्कर के शीर्ष नेता ज़की-उर-रहमान लखवी से निर्देश मिलते हैं। वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से ड्रोन के माध्यम से हथियार और नशा भारत में पहुंचाने की योजना में भी शामिल रहा है। उसकी पत्नी, जो भारतीय नागरिक है, वर्तमान में पाकिस्तान में उसके साथ रह रही है।
सिर्फ पहलगाम ही नहीं, रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला और कुकगाम में हुए मुठभेड़ में भी जट्ट की भूमिका की पुष्टि हुई है। ये हमले एक योजनाबद्ध नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिनका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाना है।
FATF की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते जट्ट ने अब सीधे बड़े हमले करने से बचना शुरू कर दिया है। वो अब छोटे-छोटे स्थानीय नेटवर्क बना रहा है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचा रह सके।
जट्ट का बेटा उमर राजा अफाक 2007 में कश्मीर में छोड़ दिया गया था। बाद में दोनों की पाकिस्तान में मुलाकात हुई, लेकिन उमर वहां की संस्कृति में ढल नहीं पाया और दोबारा कश्मीर लौट आया।
सज्जिद जट्ट सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि आतंकवाद की एक नई सोच का प्रतीक बन चुका है। वह डिजिटल दायरे में युवाओं को भटकाने से लेकर ड्रोन के जरिए भारत में तबाही मचाने तक का खतरनाक खेल खेल रहा है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को अब और सतर्क रहने की जरूरत है। यह कहानी न सिर्फ कश्मीर के जख्मों की गहराई दिखाती है, बल्कि पाकिस्तान की उस साजिश की परतें भी खोलती है जो वह दशकों से बुनता आ रहा है।
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