मुख्य बिंदु:
- भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे जम्मू-कश्मीर में रुके हुए जलविद्युत परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
- केंद्र सरकार ने छह प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं पर तेजी से कार्य करने की योजना बनाई है, जिनमें सावलकोट, पाकल डुल, रतले, बर्सर, किरु और किर्थाई I और II शामिल हैं।
- इन परियोजनाओं के पूरा होने से जम्मू-कश्मीर में लगभग 10,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता विकसित होगी, जिससे क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- केंद्र सरकार ने इन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जल संसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल, ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
सिंधु जल संधि निलंबन के बाद जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने की तैयारी
भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
परियोजनाओं की सूची:
- सावलकोट परियोजना (1,856 मेगावाट): यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के रामबन और उधमपुर जिलों में चिनाब नदी पर प्रस्तावित है।
- पाकल डुल (1,000 मेगावाट): किश्तवाड़ जिले में मारुसुदार नदी पर स्थित यह परियोजना निर्माणाधीन है और इसके 2023 में पूरा होने की उम्मीद है।
- रतले (850 मेगावाट): ड्रबशल्ला में चिनाब नदी पर स्थित यह परियोजना 2026 तक संचालन में आने की संभावना है।
- बर्सर (800 मेगावाट): यह परियोजना चिनाब नदी की एक सहायक नदी पर प्रस्तावित है।
- किरु (624 मेगावाट): यह परियोजना भी चिनाब नदी पर स्थित है।
- किर्थाई I और II (कुल 1,320 मेगावाट): ये परियोजनाएं चिनाब नदी पर प्रस्तावित हैं।
इन परियोजनाओं के पूरा होने से जम्मू-कश्मीर में लगभग 10,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता विकसित होगी, जिससे क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्र सरकार की पहल:
केंद्र सरकार ने इन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जल संसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल, ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया:
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि को क्षेत्र की जलविद्युत क्षमता के विकास में बाधा बताया है। उन्होंने कहा कि संधि के कारण जम्मू-कश्मीर को सर्दियों में बिजली की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने केंद्र सरकार से विशेष सहायता की मांग की है, ताकि क्षेत्र की जलविद्युत क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जा सके।
सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से न केवल क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होगी, बल्कि आर्थिक विकास और स्वावलंबन को भी बढ़ावा मिलेगा।
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