स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर PM Modi ने कुछ ऐसा किया कि सब उनकी आलोचना कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे की लाल किले की प्राचीन से PM Modi ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी कि RSS की जमकर तारीख की। जिसके बाद सियासत में जोरदार हंगामा मच गया।
बता दें कि, ऐसा पहली बार हुआ है। जब देश के PM लाल किले से RSS का जिक्र करते हुए कहा कि, अगले महीने यानी की 27 सितंबर को संघ की स्थापना को 100 साल पूरे हो जाएंगे। उन्होंने RSS की इतनी तारीफ की कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। PM Modi ने कहा- ‘सेवा, समर्पण और अनुशासन RSS की पहचान है। यह दुनिया का सबसे बड़ा NGO है। मैं इसके सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक याद करता हूं।’
‘संघ की विचारधारा संविधान के खिलाफ’
अब होना क्या था PM Modi के इस बयान पर विपक्ष ने तुरंत तंज कस दिया। वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने हमला करते हुए कहा कि, ‘मोदी की कुर्सी मोहन भागवत की कृपा पर टिकी है। लाल किले से RSS की तारीफ करके उन्होंने भागवत को खुश करने की कोशिश की।’

बता दें कि, यह मामला यहीं नहीं रुका, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने भी सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया और लिखा कि, ‘अगर मोदी को RSS की तारीफ करनी थी, तो नागपुर जाकर करते। संघ की विचारधारा संविधान के खिलाफ है। लाल किले से इसकी तारीफ करके मोदी ने गलत परंपरा शुरू की।’ जानकारी के लिए बता दें कि, कांग्रेस के कई नेताओं ने PM Modi के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
RJD और सपा नेताओं ने भी साधा PM Modi पर निशाना
यह मामला बिहार तक पहुंच गया। बता दें कि, RJD नेता मनोज झा ने कहा कि, PM Modi ने आज प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी के नेता के तौर पर वहां भाषण दिया है। उन्होंने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा कि, अगर उन्हें RSS का जिक्र करना था। तो आजादी की लड़ाई में उनके योगदान की बात करते। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष भी नहीं रुके।
बता दें, अखिलेश यादव ने उनके इस बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि, बीजेपी का संविधान समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की बात करता है लेकिन RSS ना समाजवाद मानता है और ना ही सेक्यूलरिज्। अखिलेश ने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा कि, अब PM Modi तय करें कि उन्हें किस रास्ते पर चलना है। अगर उन्हें RSS से इतना प्यार है तो बीजेपी का संविधान ही बदल दें।
BJP ने विपक्ष पर किया जवाबी हमला
बता दें कि, इतने पटवार के बाद BJP कहां चुप रहने वाला था। उसने भी विपक्ष के हमलों पर करारा जवाब दिया। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘कांग्रेस की आंखों पर पट्टी बंधी है। उसे डॉ. हेडगेवार और RSS स्वयंसेवकों का समर्पण नहीं दिखता।
कांग्रेस चाहती है कि स्वतंत्रता संग्राम का सारा क्रेडिट गांधी-नेहरू परिवार को मिले।’ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘राष्ट्र निर्माण में RSS का सबसे बड़ा योगदान है। बाढ़, सूखा, कोरोना या युद्ध, हर मुश्किल वक्त में RSS स्वयंसेवक सबसे पहले सेवा के लिए आगे आते हैं। इसे राष्ट्रविरोधी कहना गलत है।’
RSS ने विपक्ष को याद दिलाया इतिहास
बताते चले कि, इतना कुछ होने के बाद RSS ने भी अपना आपा खो दिया, और RSS ने भी विपक्ष के आरोपों का टेढ़ा जवाब भी दिया। बता दे कि, संगठन ने याद दिलाया कि जब 1962 में युद्ध हुआ था तब पंडित नेहरू और 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने RSS कि सहायता की थी और सम्मान भी दिया था।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पंडित मदन मोहन मालवीय ने संगठन के लिए एक कार्यालय बनवाया था पूर्व राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी ने भी के दशहरा कार्यक्रम में शिरकत कर उसकी निस्वार्थ सेवा की तारीफ की थी।
आगे चलकर RSS ने कहा कि, ‘हमारा संगठन पिछले 100 साल से वनवासी कल्याण परिषद, विद्या भारती, सेवा भारती, एकल विद्यालय और राष्ट्र सेविका समिति जैसे संगठनों के जरिए समाज सेवा में जुटा है। हमारी निष्ठा और समर्पण पर सवाल उठाना बेमानी है।’
सियासी मजबूरी या वैचारिक टकराव?
वहीं दूसरी तरफ कुछ नेताओं ने सवाल उठाया कि मोदी ने RSS को NGO क्यों कहा? इसका जवाब देते हुए RSS ने बताया कि, वह 100 साल से समाज के हर क्षेत्र में सेवा कार्य कर रहा है। कुछ जानकारों का कहना है कि, RSS की तारीफ पर विपक्ष का विरोध वैचारिक कम, राजनीतिक मजबूरी ज्यादा है।
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