जुना अखाड़ा से बाहर? IIT बाबा ने अचानक छोड़ा महाकुंभ 2025

IIT बाबा ने विवाद और मानसिक तनाव के चलते महाकुंभ 2025 और जुना अखाड़ा से अचानक दूरी बना ली। उनकी रहस्यमयी गैर-मौजूदगी ने आध्यात्मिक जगत को हैरान कर दिया।

Out of Juna Akhara_ IIT Baba suddenly left Maha Kumbh 2025
Out of Juna Akhara_ IIT Baba suddenly left Maha Kumbh 2025
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प्रयागराज: महाकुंभ 2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में धूमधाम से चल रहा है। इस बार का आयोजन कई अनोखी कहानियों और चर्चाओं का केंद्र रहा है, लेकिन इनमें से एक नाम जो सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा, वह है ‘IIT बाबा’। इंजीनियर से संत बने अभय सिंह, जिन्हें जुना अखाड़ा और सोशल मीडिया पर ‘IIT बाबा’ के नाम से जाना जाता है, ने अचानक महाकुंभ और जुना अखाड़ा से दूरी बना ली है।

उनका यह कदम आध्यात्मिक जगत और उनके अनुयायियों के बीच कई सवाल खड़े कर रहा है।

कौन हैं ‘IIT बाबा’?

हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह का जीवन यात्रा बेहद खास है। उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और कुछ समय तक कॉर्पोरेट सेक्टर में भी काम किया। लेकिन पारंपरिक करियर उन्हें संतोष नहीं दे पाया। उन्होंने फोटोग्राफी और कला में रुचि दिखाई और फिर आध्यात्मिकता में अपनी सच्ची राह पाई।

उनकी कहानी और जीवन दर्शन ने महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो वायरल हुए, जहां उन्होंने जीवन के अर्थ, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता के महत्व पर चर्चा की।

महाकुंभ से प्रस्थान और जुना अखाड़ा में विवाद

अभय सिंह ने गुरुवार को महाकुंभ और जुना अखाड़ा से अचानक प्रस्थान कर लिया। आश्रम के साधुओं के अनुसार, बाबा पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव से जूझ रहे थे।

तनाव और मीडिया का दबाव

  • लगातार मीडिया इंटरव्यू और वायरल वीडियो के चलते बाबा पर मानसिक दबाव बढ़ता गया।
  • साधुओं ने बताया कि बाबा ने इन परिस्थितियों से बचने के लिए शायद ड्रग्स का भी सहारा लिया।
  • विवादास्पद टिप्पणियों और साधुओं के साथ उनके संबंधों में खटास की खबरें भी आईं।

सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता

जुना अखाड़ा के परंपराओं के अनुसार, केवल वरिष्ठ संतों को मीडिया से बातचीत की अनुमति है। बाबा की बढ़ती लोकप्रियता को इस परंपरा का उल्लंघन माना गया।

परिवार की चिंता और बाबा का रहस्यमय गायब होना

अभय सिंह के माता-पिता, जिनमें उनके पिता करण सिंह, जो झज्जर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, ने भी आश्रम में उनका पता लगाने की कोशिश की। लेकिन बाबा का फोन स्विच ऑफ मिला और उनका कोई अता-पता नहीं चल पाया।

बाबा ने पिछले छह महीनों से अपने परिवार से दूरी बनाए रखी थी, और उनके परिवार द्वारा घर लौटने की कई कोशिशें नाकाम रही।

क्या यह निर्णय अंतिम है?

हालांकि, बाबा के अचानक प्रस्थान का सही कारण अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन उनकी कहानी आध्यात्मिकता की चुनौतियों और लोकप्रियता के दबाव को दर्शाती है।

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