मुख्य बिंदु:
- भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए।
- पहाड़गाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद यह कार्रवाई की गई।
- विपक्षी नेताओं ने सेना की कार्रवाई का समर्थन किया और एकजुटता दिखाई।
- नेताओं ने इसे आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश बताया।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहाड़गाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस हमले के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और सरकार पर कड़ी कार्रवाई का दबाव बढ़ा।
भारतीय सेना ने 6 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया।
इस सैन्य कार्रवाई पर विपक्षी नेताओं ने भी एकजुट होकर सेना का समर्थन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हम अपनी सेना के साहस और दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं।”
शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “धर्म पूछने वालों को अब भुगतना होगा अपना कर्म।”
आदित्य ठाकरे ने कहा, “आतंकवाद के सभी रूपों का सफाया होना चाहिए… उन्हें इतनी कड़ी चोट पहुंचाएं कि आतंकवाद फिर कभी सिर न उठा सके। जय हिंद!”
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “भारत माता की जय! न आतंकवाद होना चाहिए, न अलगाववाद! हमें अपनी बहादुर सेना और भारतीय सेना पर गर्व है।”
इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने इसे ‘युद्ध का कार्य’ बताया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ थी और इसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देना था।
देशभर में इस कार्रवाई की सराहना की जा रही है और इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है। विपक्ष और सत्तापक्ष का एकजुट समर्थन इस बात का संकेत है कि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो सभी राजनीतिक दल एक साथ खड़े होते हैं।
नोट: यह समाचार रिपोर्ट विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है और इसका उद्देश्य पाठकों को सटीक और प्रासंगिक जानकारी प्रदान करना है।