लोकसभा में ‘One Nation One Election’ बिल पेश; कांग्रेस और सपा ने किया तीखा विरोध

केंद्र सरकार ने एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए 'One Nation One Election' बिल पेश किया, लेकिन विपक्ष ने इसे संविधान विरोधी बताया।

'One Nation, One Election' bill introduced in Lok Sabha; Congress and SP strongly opposed it
'One Nation, One Election' bill introduced in Lok Sabha; Congress and SP strongly opposed it
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One Nation One Election: क्या है प्रस्ताव और क्यों मचा है विवाद?

लोकसभा में मंगलवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘One Nation One Election’ को लागू करने के लिए दो विधेयक पेश किए। इनमें ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘संविधान (संघ राज्य क्षेत्र कानून संशोधन) विधेयक, 2024’ शामिल हैं। इन विधेयकों का उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है।

बिल के प्रमुख प्रावधान:

  1. संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल का समान समापन:
    नया अनुच्छेद 82(A) जोड़ा जाएगा, जिसके तहत लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।
  2. मध्यावधि चुनाव का प्रावधान:
    अगर किसी विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल समय से पहले समाप्त होता है, तो चुनाव केवल शेष कार्यकाल के लिए होंगे।
  3. समान अवधि:
    विधेयक में प्रस्तावित है कि लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल ‘नियुक्त तिथि’ से गिना जाएगा।
  4. 2034 से लागू:
    विधेयक के अनुसार, अगले लोकसभा चुनाव 2029 में होंगे, जबकि पहला संयुक्त चुनाव 2034 में शुरू होगा।

विपक्ष का विरोध:

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को संविधान की मूल भावना पर हमला बताया है।

कांग्रेस का रुख:

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा,
“इस विधेयक को लाना संविधान की बुनियादी संरचना पर हमला है। सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।”

सपा का हमला:

सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा,
“यह बिल देश में ‘तानाशाही’ लाने की कोशिश है। संविधान की आत्मा और संरचना पर यह सीधा प्रहार है।”

टीएमसी की आपत्ति:

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे ‘एक व्यक्ति के सपने को पूरा करने का प्रयास’ बताया।

क्या कहता है बिल?

संविधान संशोधन विधेयक में अनुच्छेद 83, 172, और 327 में संशोधन का प्रस्ताव है। विधेयक के तहत:

  • लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए अनुच्छेद 82(A) जोड़ा जाएगा।
  • ‘नियुक्त तिथि’ के आधार पर सभी चुनावों का कार्यकाल समान होगा।
  • यह प्रक्रिया 2034 से शुरू होगी।

सरकार का पक्ष:

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को देश में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि चुनावी खर्च को कम करने और प्रशासनिक कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह बिल जरूरी है।

राजनीतिक विवाद क्यों?

  1. संविधान की मूल भावना:
    विपक्ष का कहना है कि संविधान में संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल को अलग-अलग रखा गया है, जिसे बदलना लोकतंत्र को कमजोर करेगा।
  2. लोकतांत्रिक जवाबदेही:
    विपक्षी दलों का मानना है कि यह कदम सरकारों को जवाबदेही से मुक्त कर देगा।
  3. विभिन्न राज्यों की विविधता:
    राज्यों के राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों को देखते हुए एक साथ चुनाव व्यावहारिक नहीं होंगे।

आगे की प्रक्रिया:

संविधान संशोधन विधेयक को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होगा। इसे एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की संभावना है।

विशेषज्ञों की राय:

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक देश के चुनावी ढांचे में बड़े बदलाव का संकेत है। हालाँकि, इसके प्रभाव को लेकर मतभेद हैं।

‘One Nation One Election’ का प्रस्ताव भारत के चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। लेकिन, इसे लागू करना संविधान की भावना और लोकतंत्र की मजबूती के खिलाफ हो सकता है।

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