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Mohan Bhagwat ने कहा- पुरातन काल से है और हमेशा रहेगा इस्लाम, जानें भारतीय मुसलमानों पर क्या बोले RSS प्रमुख

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख Mohan Bhagwat आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं। वहीं एक फिर कुछ अपने बयान के कारण फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, गुरुवार (28 अगस्त, 2025) को Mohan Bhagwat हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत में इस्लाम का हमेशा एक स्थान रहेगा। उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमान एक ही हैं, उनकी सिर्फ पूजा अलग हैं इसलिए उनके बीच एकता को लेकर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए।

Mohan Bhagwat: हिंदू और मुसलमान एक ही हैं

उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने की पुरजोर वकालत की। जानकारी के लिए बता दें कि, Mohan Bhagwat आरएसएस के शताब्दी समारोह पर आयोजित एक कार्यक्रम का हिस्सा हुए थे, जहां उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह बात कही, ‘हिंदू और मुसलमान एक ही हैं… इसलिए उनके बीच एकता को लेकर कोई सवाल ही नहीं है; सिर्फ उनकी पूजा पद्धति बदल गई है।हम पहले से ही एक हैं, एकजुट करने वाली बात कहां से आई? बदला ही क्या है? सिर्फ पूजा पद्धति बदल गई है; क्या इससे वाकई कोई फर्क पड़ता है?’

मोहन भागवत ने कहा, ‘इस्लाम पुरातन काल से भारत में रहा है और आज तक कायम है और भविष्य में भी रहेगा। यह विचार कि इस्लाम नहीं रहेगा, हिंदू दर्शन नहीं है। हिंदू और मुसलमान दोनों को एक-दूसरे पर परस्पर विश्वास रखने की जरूरत है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘सड़कों और जगहों का नाम ‘आक्रांताओं’ के नाम पर नहीं रखा जाना चाहि। मैंने यह नहीं कहा कि मुस्लिम नाम नहीं होना चाहिए। एपीजे अब्दुल कलाम, अब्दुल हमीद का नाम वहां होना चाहिए।’

हमने बिना धर्म देखे सबकी मदद की है

आरएसएस संघ प्रमुख Mohan Bhagwat ने कहा कि, हमारा संघ किसी पर भी, धार्मिक आधार पर हमला करने में विश्वास नहीं रखता है। उदाहरण देते हुए बताया कि, केरल बाढ़ और गुजरात भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान हम सभी के मदद के लिए आगे आएं है।

उनका यह भी कहना है कि, हमारा ऐसा मानना है कि, धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है और इस मामले में किसी भी तरह का प्रलोभन या जोर-जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।

धर्मांतरण के वजह से जनसांख्यिकीय असंतुलन : Mohan Bhagwat

Mohan Bhagwat

आरएसएस प्रमुख ने देश में जनसांख्यिकीय असंतुलन के प्रमुख कारणों के रूप में धर्मांतरण और अवैध प्रवासन का हवाला दिया और कहा कि ‘सरकार घुसपैठ को रोकने की कोशिश कर रही है और समाज से भी अपनी भूमिका निभानी होगी। वहीं नौकरियां अवैध प्रवासियों को नहीं, बल्कि हमारे लोगों को मिलनी चाहिए जिनमें मुसलमान भी शमिल हैं।’

बांग्लादेश और भारत के लोगों का डीएनए एक ?

मामले को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि, वह इस तर्क से बिल्कुल सहमत हैं कि बांग्लादेश और भारत के लोगों का डीएनए एक जैसा है। फिर भी हर देश का नियम और कानून अपने और अलग अलग होते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, मोहन भागवत ने उन सभी आरोपों को भी खारिज कर दिया है, और कहा कि, आरएसएस कभी भी हिंसा में शामिल नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘हिंसा में लिप्त कोई भी संगठन भारत में 75 लाख जगहों तक नहीं पहुंच सकता या इतना समर्थन हासिल नहीं कर सकता। अगर हम ऐसे होते, तो क्या हम ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते? हम कहीं भूमिगत होते’

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