महाराष्ट्र के बदलापुर स्थित एक निजी स्कूल में 12 और 13 अगस्त को घटित दो चार वर्षीय बच्चियों के कथित यौन शोषण का मामला प्रदेश सरकार के लिए सख्त चेतावनी साबित हो रहा है। इस मामले में एक सफाई कर्मचारी पर आरोप लगे हैं, जिसने जनाक्रोश को जन्म दिया। इस घटना के बाद राज्यभर में भारी प्रदर्शन हुए, जिसमें लोगों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया और स्कूल भवन पर हमला बोल दिया।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इन प्रदर्शनों को राजनीति से प्रेरित बताया है। शिंदे का कहना है, “हमारे मंत्री गिरीश महाजन द्वारा कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देने के बावजूद भीड़ ट्रैक छोड़ने को तैयार नहीं थी। यह स्पष्ट है कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार को बदनाम करना था।”
हालांकि, शिंदे के इस बयान के बावजूद, इस घटना में स्कूल की व्यवस्था और पुलिसिंग में हुई खामियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। सवाल उठता है कि एक संदिग्ध सफाई कर्मचारी की भर्ती क्यों हुई? और क्यों एक पुरुष सफाई कर्मचारी को बच्चों को वॉशरूम ले जाने की ज़िम्मेदारी दी गई?
बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि
महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। 2023-24 में बाल यौन शोषण के 4,449 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021-22 में यह संख्या 3,458 थी।
किडनैपिंग और अपहरण के मामले 2021-22 में 9,555 थे, जो 2023-24 में बढ़कर 12,564 हो गए। वहीं, हत्या के मामलों में कमी देखी गई, जो 2021-22 में 146 से घटकर 2023-24 में 84 हो गए।
इस घटना के बाद सरकार और प्रशासन को जागरूक होना पड़ा, वरना यह मामला भी एक सामान्य अपराध की तरह दबा दिया जाता।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर
महायुति के घटक दल—शिवसेना, भाजपा और एनसीपी—का मानना है कि ये विरोध प्रदर्शन विपक्ष द्वारा सुनियोजित थे, जिसका उद्देश्य सरकार की “मुख्यमंत्री माजी लाडली बहिन योजना” की सफलता को धूमिल करना था। 17 अगस्त को शुरू हुई इस योजना के तहत 18-65 वर्ष की महिलाएं जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, उन्हें हर महीने 1,500 रुपये दिए जाएंगे।
बदले में, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
विपक्ष ने 2013 में शक्ति मिल गैंगरेप मामले में तत्कालीन गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की थी। अब वही विपक्ष, महाविकास आघाड़ी के गठबंधन के साथ, मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग कर रहा है।
निष्कर्ष
विधानसभा चुनावों के नज़दीक आते ही, महाराष्ट्र की राजनीति में गर्मी बढ़ती जा रही है। बदले चुनावी समीकरण और जनता के बढ़ते आक्रोश के बीच, मुख्यमंत्री शिंदे और उनकी सरकार को जनता के हित में कठोर और त्वरित कार्रवाई करनी होगी।
यह भी पढ़े: भारत में आरक्षण: लाभ, चुनौतियाँ और सुधार की दिशा