Jaykumar Gore को कोर्ट ने क्यों दी निर्दोष मुक्तता? – आरोप निराधार, जानें पूरी कहानी अभी!

Jaykumar Gore: महिलाओं को अश्लील फोटो भेजने के आरोप पर कोर्ट की निर्दोष मुक्तता का फैसला, राजकीय प्रतिक्रिया में कड़ी टक्कर

Jaykumar Gore: Why did the court grant him acquittal? - The allegations are baseless, know the whole story now!
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Key Highlights

  • अरोपी आरोप: सरसेनापती हंबीरराव मोहिते के परिवार की एक महिला के विनयभंग के आरोप लगाए गए।
  • राजनीतिक दांव-पेंच: शिवेसना (उद्धव ठाकरे) पक्ष के प्रवक्ता संजय राऊत ने मंत्री गोरे पर आरोप लगाए।
  • कोर्ट का फैसला: 2019 में कोर्ट ने केस में निर्दोष मुक्तता दी, जिसमें जप्त मुद्देमाल नष्ट करने का आदेश भी शामिल था।
  • राजनीतिक प्रतिक्रिया: जयकुमार गोरे ने अपनी बयानबाजी में आरोपों को खारिज करते हुए विरोधकों पर कानूनी कार्रवाई का संकेत दिया।
  • व्यक्तिगत अनुभव: मंत्री ने अपने पिता की हाल की मृत्यु और राजनैतिक संघर्ष का जिक्र करते हुए व्यक्तिगत दर्द को भी साझा किया।

Jaykumar Gore: आरोपों पर तीखा पलटवार और कोर्ट की निर्दोष मुक्तता

राजनीतिक दांव-पेंच और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलते हुए, ग्रामविकास आणि पंचायतराज मंत्री Jaykumar Gore पर एक गंभीर आरोप लगाया गया है। आरोप के अनुसार, उनके खिलाफ सरसेनापती हंबीरराव मोहिते के परिवार की एक महिला के विनयभंग का मामला दर्ज किया गया है। शिवेसना (उद्धव ठाकरे) पक्ष के प्रवक्ता संजय राऊत ने यह दावा किया कि मंत्री ने संबंधित महिला को अश्लील फोटो भेजे। विरोधी पक्षनेते अंबादास दानवे ने सभा में इस मुद्दे पर आवाज उठाने का भी संकेत दिया।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

मंत्री Jaykumar Gore ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि 2017 में उनके खिलाफ एक गुन्हा दर्ज किया गया था, जिसके बाद विधानसभे और मसवड पालिके की चुनावी प्रक्रियाओं के बीच यह मामला उठा। 2019 में अदालत ने मामले में फैसला सुनाया और उन्हें निर्दोष मुक्त कर दिया। अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि जप्त मुद्देमाल तथा मोबाइल को नष्ट किया जाए। मंत्री ने कहा,

“कोर्टाने निर्दोष मुक्तता केली आहे. लोकशाहीत सर्वोच्च न्यायालय हे सर्वोच्च आहे.”
इस फैसले के बाद भी आरोपों को लेकर राजनैतिक मंच पर बहस जारी है।

मंत्री की प्रतिक्रिया और पलटवार

आज विधानभवन से संवाद करते हुए मंत्री Jaykumar Gore ने आरोपों को नकारा। उन्होंने बताया कि छह साल पहले अदालत ने उनके खिलाफ आरोप खारिज कर दिए थे। मंत्री ने यह भी कहा कि राजनैतिक नेत्तृत्व में यह स्पष्ट होना चाहिए कि आरोप लगाते समय मर्यादा और जिम्मेदारी का ध्यान रखा जाए।
उनका कहना था,

“माझ्या वडिलांचं सात दिवसांपूर्वी निधन झालं. त्यांनी मला वाढवून, संघर्ष करून इथपर्यंत आणलं.”
उन्होंने आगे यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं, उन पर हक्कभंगाचा प्रस्ताव दर्ज किया जाएगा और बदनामी का खटला भी दाखिल किया जाएगा। इस प्रतिक्रिया ने राजनीतिक माहौल में एक नई हलचल मचा दी है।

राजनीतिक और व्यक्तिगत पहलू

राजनीतिक जीवन में आरोप-प्रत्यारोप आम हैं, परंतु इस मामले में मंत्री गोरे ने व्यक्तिगत अनुभवों को भी साझा किया। अपने पिता की मृत्यु के दुख को सामने रखते हुए, उन्होंने यह बताया कि राजनैतिक संघर्ष में व्यक्तिगत दर्द भी शामिल रहता है। उनका मानना है कि अदालत के फैसले ने साफ कर दिया है कि आरोप निराधार हैं और अब उन्हें आगे कानूनी कार्रवाई के जरिए बदनाम करने वालों के खिलाफ कदम उठाने होंगे।

मंत्री जयकुमार गोरे ने न सिर्फ अदालत के फैसले का हवाला देते हुए आरोपों को निराधार ठहराया है, बल्कि अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारियों और दर्द को भी साझा किया है। यह मामला राजनैतिक मंच पर चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें कानूनी और नैतिक पहलुओं पर सवाल उठते हैं। आगे की कार्रवाई और विरोधकों के आरोपों पर कानूनी कार्रवाई निश्चित ही इस मामले को नई दिशा देगी।

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