Key Highlights:
- कश्मीरी छात्रों के खिलाफ देशभर में उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- सज्जाद लोन ने केंद्र सरकार से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।
- छात्रों को हॉस्टल खाली करने तक को मजबूर किया जा रहा है।
- छात्रों में डर और असुरक्षा का माहौल।
- राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की सख्त ज़रूरत।
कश्मीरी छात्रों पर हमले: क्या देश में पढ़ाई का सपना डर में बदल रहा है?
“सवाल सिर्फ छात्रों की नहीं, हमारे समाज की भी है – क्या हम एकता के मूल्य भूलते जा रहे हैं?”
हमें एक देश के तौर पर शिक्षा को अधिकार मानने की आदत है, लेकिन क्या हम इस अधिकार को सभी नागरिकों के लिए समान रूप से सुरक्षित कर पा रहे हैं? आज जब हम तकनीक, विज्ञान और वैश्विक मंचों पर आगे बढ़ रहे हैं, तभी हमारे ही देश के कुछ युवा, खासकर कश्मीर से आए छात्र, डर और असुरक्षा के बीच जी रहे हैं।
हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने हाल ही में एक अहम मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा है कि देशभर में कश्मीरी छात्रों को परेशान किया जा रहा है, उनके साथ मारपीट की जा रही है, उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है और यहाँ तक कि हॉस्टल या किराये के मकानों से निकालने तक की घटनाएं हो रही हैं।
छात्रों के अनुभव क्या कहते हैं?
जम्मू-कश्मीर से पढ़ाई के लिए दिल्ली, पुणे, भोपाल, नोएडा और अन्य शहरों में गए छात्र अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई छात्रों ने बताया कि उनसे जबरन पूछताछ की जाती है, और “तुम कश्मीरी हो” कहकर उन्हें अलग नजर से देखा जाता है।
एक छात्र ने बताया:
“हम पढ़ने आए थे, लेकिन अब हमें डर लगता है कि कहीं कोई कुछ कर न दे। कभी किरायेदार निकाल देते हैं, कभी सड़क पर कोई पीछा करने लगता है।”
राजनीतिक अपील बनाम ज़मीनी सच्चाई
सज्जाद लोन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा:
“देशभर में कई घटनाएं हुई हैं जहाँ कश्मीरी छात्रों को परेशान किया गया है। मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूँ कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।”
हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। इससे पहले भी पुलवामा हमले के बाद कई छात्रों को निशाना बनाया गया था। लेकिन यह अब एक नियमित और चिंताजनक पैटर्न बनता जा रहा है।
अगर हम वाकई ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना देखते हैं, तो यह ज़रूरी है कि हम हर क्षेत्र, हर समुदाय के छात्रों को बराबर का अवसर और सुरक्षा दें। कश्मीरी छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार देश की राष्ट्रीय एकता की भावना को चोट पहुंचाता है।
सरकार और समाज को क्या करना चाहिए?
- केंद्र सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और राज्य सरकारों के साथ मिलकर ऐसे मामलों की निगरानी करनी चाहिए।
- विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में हेल्पलाइन एवं सुरक्षा तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के ज़रिए अफवाहों और नफरत फैलाने वाली पोस्ट्स पर सख्त कार्रवाई हो।
- आम नागरिकों को संवेदनशीलता और सहिष्णुता की शिक्षा देना ज़रूरी है।
कश्मीर सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि भारत का अभिन्न हिस्सा है। वहां से आने वाले छात्र हमारे ही देश के भविष्य हैं। उन्हें डर के साये में जीने देना, हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की हार है। ज़रूरत है अब आवाज़ उठाने की — न सिर्फ नेताओं से, बल्कि हर नागरिक से।