कश्मीर की बदलती राजनीतिक तस्वीर: बायकॉट राजनीति ने दिए आकस्मिक नेता, “अलाम” विषय पर विस्तृत लेख

Changing political picture of Kashmir- Boycott politics gave sudden leaders, detailed article on the subject Alam
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जम्मू-कश्मीर में समय-समय पर हुए राजनीतिक और संवैधानिक बदलावों ने वहां की राजनीति को गहरे प्रभाव में डाला है। इन बदलावों में चुनाव बहिष्कार, राजनीतिक दलों का गठन और सत्ता में उठापटक मुख्य मुद्दे रहे हैं। इस लेख में हम वरिष्ठ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) नेता मोहम्मद खुर्शीद अलाम के विचारों पर ध्यान देंगे, जिन्होंने चुनाव बहिष्कार के परिणामस्वरूप उभरने वाले ‘आकस्मिक नेताओं’ के विषय पर टिप्पणी की है।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में 2014 के विधानसभा चुनाव से लेकर वर्तमान में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं। 2014 में जहां एक ओर राज्य के पास विशेष दर्जा था, वहीं 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से वह अधिकार समाप्त हो गया। इस दौरान PDP नेता अलाम का मानना है कि चुनाव बहिष्कार के चलते राज्य में “अयोग्य” नेता उभर कर आए, जिनकी राजनीतिक क्षमता सवालों के घेरे में रही। उन्होंने इसे “आकस्मिक नेता” कहा, जो जनता के समर्थन की बजाए बहिष्कार के कारण सत्ता में आए।

2014 और 2024 के चुनावों की तुलना

अलाम ने 2014 और 2024 के विधानसभा चुनावों की तुलना करते हुए बताया कि पहले के चुनावों में जम्मू-कश्मीर विधानसभा को देश में सबसे ताकतवर माना जाता था। 2014 तक, विधानसभा को एक विशेष दर्जा प्राप्त था, जो कि 2019 में खत्म हो गया। अलाम के अनुसार, वर्तमान चुनावों का उद्देश्य अलग है; अब PDP का मकसद भाजपा की जम्मू-कश्मीर में ‘दमनकारी नीतियों’ के खिलाफ लड़ना है। उनके अनुसार, भाजपा चाहती है कि राज्य में ‘कब्रिस्तान जैसी खामोशी’ हो, जबकि PDP राज्य के लोगों को उनके सम्मान के साथ शांति और विकास दिलाने की कोशिश कर रही है।

ईदगाह निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे अलाम ने नेशनल कांफ्रेंस (NC) के मुबारक गुल पर सीधे आरोप लगाए कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया। गुल ने 1983 से ईदगाह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन अलाम का दावा है कि वहां के लोग अभी भी शिक्षा, रोजगार और विकास जैसे बुनियादी मुद्दों से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव बहिष्कार का सबसे ज्यादा लाभ गुल को हुआ, क्योंकि इसके चलते वे बिना कड़े मुकाबले के चुने जाते रहे।

अलाम की भविष्य की योजनाएं

अलाम ने अपने चुनावी एजेंडे में क्षेत्र के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उनका मानना है कि मुबारक गुल ने विकास के असली अर्थ को समझने में चूक की है। क्षेत्र में विकास की कमी साफ देखी जा सकती है। वे उम्मीद करते हैं कि इस बार जनता बहिष्कार की नीति को छोड़ कर सही नेता चुनेगी, ताकि क्षेत्र को विकास की नई राह पर ले जाया जा सके।

PDP की भूमिका

अलाम ने PDP को जम्मू-कश्मीर की राजनीति का “वास्तविक विकल्प” बताया। उनका दावा है कि PDP ही राज्य के लोगों की उम्मीदों को पूरा कर सकती है। वे भाजपा के “दमनकारी” दृष्टिकोण का खुलकर विरोध कर रहे हैं और PDP की नीति को राज्य के विकास के लिए आवश्यक मानते हैं।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में चुनाव बहिष्कार ने कई आकस्मिक नेताओं को जन्म दिया है, जिनकी राजनीतिक दक्षता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। PDP नेता मोहम्मद खुर्शीद अलाम ने स्पष्ट किया है कि वे भाजपा की नीतियों का विरोध करते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्र के समग्र विकास पर ध्यान देंगे। वे मानते हैं कि चुनाव बहिष्कार को खत्म कर राज्य में सही राजनीतिक नेतृत्व को स्थापित करना अब जरूरी हो गया है।

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Team K.H.
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